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मार्च से अब तक 85% अभिभावकों को मध्याह्न भोजन के बदले कुछ नहीं मिला

मार्च से अब तक 85% अभिभावकों को मध्याह्न भोजन के बदले कुछ नहीं मिला
21 दिसंबर
भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (आईआईएम-ए) और यूनिसेफ गुजरात के सहयोग से किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि जिन घरों में बच्चे सरकारी स्कूल में नामांकित हैं, उनमें से 85% अभिभावकों ने बताया कि मार्च में लॉकडाउन शुरू होने के बाद से उन्हें मध्याह्न भोजन के बदले कुछ नहीं मिला।
गुजरात उच्च न्यायालय ने 18 दिसंबर को सर्वेक्षण का स्वतः संज्ञान लिया और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति इलेश जे. वोरा की पीठ के तहत गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और गुजरात राज्य के मध्याह्न भोजन योजना आयुक्त को नोटिस जारी किया।
सर्वेक्षण में पता चला कि केवल 15 प्रतिशत अभिभावकों को ही मिड-डे मील के बदले चावल, गेहूं और दालें मिलीं। अदालत ने कहा, "अदालत का मानना है कि राज्य सरकार का ध्यान तुरंत उपर्युक्त बातों की ओर आकर्षित किया जाना चाहिए, और ऐसी स्थितियों में, हम जनहित में उपरोक्त बातों का स्वतः संज्ञान लेना उचित समझते हैं।"