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एकल माँ द्वारा गोद लिया गया बच्चा एकल माँ की जाति लेने का हकदार है

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हाल ही में, बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुनील बी शुक्रे और न्यायमूर्ति जी ए सनप की खंडपीठ ने कहा कि गोद लिया गया बच्चा एकल मां की जाति अपनाने का हकदार है।

इस मामले में याचिकाकर्ता ने अपने बेटे के लिए जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए उप जिला कलेक्टर से आवेदन किया था। जिसे अधिकारी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पिता के जाति दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए हैं।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने जिला जाति प्रमाण पत्र जांच समिति के समक्ष अपील दायर की जिसने आदेश की पुष्टि की। आदेश से व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया।

याचिकाकर्ता ने कहा कि जैविक पिता का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि उसके बेटे को अनाथालय से गोद लिया गया था। और अनाथालय को बच्चे के जैविक माता-पिता के बारे में पता नहीं था।

कलेक्टर ने कहा कि 2001 के सरकारी संकल्प के अनुसार पिता या दादा या परदादा का स्थायी निवास प्रमाण प्रस्तुत करना आवश्यक है, जो वर्तमान मामले में प्रस्तुत नहीं किया गया। इसलिए, आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया।


पीठ ने कहा कि बच्चे को हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम के तहत गोद लिया गया था। अधिनियम के अनुसार, बच्चा दत्तक माता-पिता का सदस्य बन जाता है और ऐसा बच्चा दत्तक माता-पिता की जाति अपना लेता है।

पीठ ने कहा कि जाति प्राधिकारियों ने इस महत्वपूर्ण पहलू को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया कि याचिकाकर्ता ने न्यायालय से अपेक्षित आदेश के बाद ही अपने बेटे को गोद लिया था। इसलिए उसने कलेक्टर को दो सप्ताह के भीतर जाति प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया।