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कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ POCSO मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी

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एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, कर्नाटक की एक ट्रायल कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (पोक्सो एक्ट) के तहत दर्ज एक मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।


यह वारंट अतिरिक्त सिटी सिविल एवं सत्र न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट-I) एनएम रमेश द्वारा जारी किया गया, जिसमें अपराध जांच विभाग (CID) को येदियुरप्पा की गिरफ्तारी के लिए अधिकृत किया गया। यह वारंट उन आरोपों के बाद जारी किया गया है, जिनमें कहा गया है कि येदियुरप्पा ने अपने आवास पर एक 17 वर्षीय लड़की से छेड़छाड़ की थी।


शिकायतकर्ता लड़की की माँ के अनुसार, यह घटना तब हुई जब वह और उसकी बेटी सहायता मांगने के लिए येदियुरप्पा के पास गए थे। उसने आरोप लगाया कि येदियुरप्पा ने लड़की को एक कमरे में ले जाकर बंद दरवाज़े के पीछे उसका यौन उत्पीड़न किया। माँ ने यह भी दावा किया कि येदियुरप्पा ने मामले को शांत रखने के लिए उन्हें रिश्वत देने की कोशिश की।


14 मार्च को सदाशिवनगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई, जिसके बाद पोक्सो अधिनियम की धारा 8 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (ए) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई, जो नाबालिग के यौन उत्पीड़न से संबंधित है।


गिरफ्तारी के डर से येदियुरप्पा ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। इसके अलावा, उनके खिलाफ मामला रद्द करने की मांग वाली एक याचिका भी उच्च न्यायालय में लंबित है। येदियुरप्पा की गिरफ्तारी की मांग करने वाली पीड़िता के भाई द्वारा दायर याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर कल सुनवाई होनी है।


इस बीच, सीआईडी ने गिरफ़्तारी वारंट हासिल करने के लिए ट्रायल कोर्ट का रुख किया, जिसे आज विशेष अदालत ने मंजूर कर लिया। कर्नाटक की राजनीति में येदियुरप्पा की प्रमुखता को देखते हुए इस मामले ने काफ़ी ध्यान आकर्षित किया है। चूंकि उच्च न्यायालय संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करने की तैयारी कर रहा है, इसलिए गिरफ़्तारी वारंट जारी होना पूर्व मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ कानूनी कार्यवाही में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।


येदियुरप्पा की कानूनी टीम द्वारा उनकी अग्रिम जमानत के लिए बहस किए जाने की उम्मीद है, जबकि उच्च न्यायालय के निर्णय का जांच और उसके बाद की कानूनी कार्रवाइयों पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है।


इस मामले में घटनाक्रम पर कड़ी नज़र रखी जा रही है, क्योंकि इसमें एक वरिष्ठ राजनीतिक व्यक्ति के खिलाफ़ गंभीर आरोप और नाबालिगों को यौन अपराधों से बचाने के उद्देश्य से कड़े कानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल शामिल है। इस हाई-प्रोफाइल मामले में अगले कदम तय करने में हाई कोर्ट के आगामी फ़ैसले अहम होंगे।


लेखक: अनुष्का तरानिया

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