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प्रक्रिया का पालन किए बिना निगरानी करना व्यक्ति के निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा - राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान उच्च न्यायालय ने हाल ही में फैसला सुनाया कि प्रक्रियागत सुरक्षा उपायों का पालन किए बिना निगरानी करना किसी व्यक्ति के निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा। यह फैसला तब आया जब अदालत ने शशिकांत जोशी बनाम राजस्थान राज्य के मामले में राज्य के गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए तीन फोन-टैपिंग आदेशों को अमान्य कर दिया।
न्यायमूर्ति बीरेंद्र कुमार ने बताया कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम में प्रक्रियात्मक सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रावधान हैं, जिसका उद्देश्य निजता के अधिकार के अनुचित उल्लंघन को रोकना है, और इन सुरक्षा उपायों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। 2020 और 2021 में, राज्य गृह मंत्रालय ने याचिकाकर्ता सहित रिश्वतखोरी के मामले में आरोपी व्यक्तियों के मोबाइल फोन को इंटरसेप्ट करने के लिए तीन आदेश जारी किए। अधिकारियों ने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम के तहत अपने कार्यों को उचित ठहराते हुए दावा किया कि याचिकाकर्ता एक लोक सेवक को रिश्वत देने में शामिल था।
हालांकि, अदालत ने कहा कि इंटरसेप्शन आदेशों में सार्वजनिक सुरक्षा के लिए इस तरह की निगरानी की आवश्यकता को उचित ठहराने के लिए कोई कारण नहीं दिया गया है। नतीजतन, अदालत ने इन आदेशों को स्पष्ट रूप से मनमाना माना।
याचिकाकर्ता की इस दलील के मद्देनजर कि राज्य द्वारा उसके मोबाइल फोन की निगरानी से उसकी निजता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है, अदालत ने इंटरसेप्शन आदेशों को अमान्य कर दिया। इसके अलावा, अदालत ने फैसला सुनाया कि याचिकाकर्ता के मोबाइल फोन से इंटरसेप्ट किए गए किसी भी संदेश को चल रही आपराधिक कार्यवाही में सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।