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अवैध प्रवास के आंकड़े जुटाना मुश्किल, 14,346 विदेशी नागरिकों को वापस भेजा गया: केंद्रीय गृह मंत्रालय
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारत में अवैध प्रवास के बारे में सटीक डेटा प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि ऐसी गतिविधियाँ गुप्त प्रकृति की होती हैं। कोर्ट के आदेश का जवाब देते हुए मंत्रालय के हलफनामे से पता चला कि 2017 से 2022 के बीच 14,346 विदेशी नागरिकों को निर्वासित किया गया, जबकि जनवरी 1966 से मार्च 1971 के बीच असम में प्रवेश करने वाले 17,861 प्रवासियों को भारतीय नागरिकता दी गई। हलफनामे में कहा गया है कि अवैध प्रवास "गुप्त और छुपे तरीके से" होता है, जिससे डेटा संग्रह मुश्किल हो जाता है।
न्यायालय ने नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6ए(2) के तहत भारतीय नागरिकता प्राप्त करने वाले अप्रवासियों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी, जिसमें जनवरी 1966 और मार्च 1971 के बीच प्रवेश करने वालों पर ध्यान केंद्रित किया गया। मंत्रालय के जवाब में यह भी बताया गया कि इसी अवधि में विदेशी न्यायाधिकरणों द्वारा 32,381 व्यक्तियों को विदेशी घोषित किया गया। हलफनामे में पिछले पांच वर्षों में इन न्यायाधिकरणों के कामकाज के लिए केंद्र सरकार द्वारा ₹122 करोड़ जारी किए जाने का खुलासा किया गया।
न्यायालय की जांच में अवैध प्रवासियों की अनुमानित आमद, गुवाहाटी उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित मामलों की स्थिति और पूर्वोत्तर राज्यों में अवैध अप्रवास को संबोधित करने के लिए उठाए गए प्रशासनिक कदम जैसे पहलू शामिल हैं। यह मामला असम समझौते के तहत अप्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने से संबंधित धारा 6ए की संवैधानिकता को चुनौती देने से जुड़ा है, जिसका असर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) सूची पर पड़ रहा है। हलफनामे के अनुसार, 1 दिसंबर तक असम-बांग्लादेश सीमा के संभावित क्षेत्रों में 81.5% बाड़ लगाने का काम पूरा हो चुका है।
लेखक: अनुष्का तरानिया
समाचार लेखक, एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी