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दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीवर सफाई के दौरान मरने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजा देने में डीडीए की विफलता पर नाराजगी व्यक्त की।

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Feature Image for the blog - दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीवर सफाई के दौरान मरने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजा देने में डीडीए की विफलता पर नाराजगी व्यक्त की।

मामला: कोर्ट ऑन इट्स मोशन बनाम दिल्ली नगर निगम एवं अन्य
पीठ: मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद

मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने बाहरी दिल्ली के मुंडका में सीवर की सफाई करते समय मारे गए दो लोगों के परिवारों को मुआवज़ा देने में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की विफलता पर नाराजगी जताई। पीठ ने डीडीए के रवैये को पूरी तरह से असहानुभूतिपूर्ण बताया।

सुनवाई के दौरान डीडीए के वकील ने पीठ को बताया कि मुआवजा देना नगर निगम की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी है।

6 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने डीडीए को मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया था। आज बेंच को बताया गया कि दिल्ली सरकार ने प्रत्येक परिवार को केवल 1 लाख रुपए का ही भुगतान किया है।

सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि यह मुआवजा सफाई कर्मचारी आंदोलन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आधारित नहीं है, बल्कि 5 मार्च 2020 के कैबिनेट के फैसले पर आधारित है।

पृष्ठभूमि

32 वर्षीय रोहित चंदिलिया की 9 सितंबर को सीवर साफ करते समय मौत हो गई थी। चंदिलिया को बचाने की कोशिश में पास में तैनात 30 वर्षीय सुरक्षा गार्ड अशोक की भी मौत हो गई।

उच्च न्यायालय ने घटना का स्वतः संज्ञान लिया।

आयोजित

हाईकोर्ट ने डीडीए को उचित आदेश पारित करने के लिए पंद्रह दिन का समय दिया। दिल्ली सरकार को प्रत्येक परिवार को शेष 9 लाख रुपए जारी करने का समय दिया गया।

अब इस मामले की सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।

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