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दिल्ली हाईकोर्ट - पारिवारिक अदालतों को परामर्श के लिए पक्षों को भेजते समय अत्यधिक लंबी स्थगन अवधि देने से बचना चाहिए

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में इस बात पर जोर दिया कि पारिवारिक न्यायालयों को परामर्श के लिए पक्षों को भेजते समय अत्यधिक लंबी स्थगन अवधि देने से बचना चाहिए।

न्यायमूर्ति नवीन चावला ने कहा कि पारिवारिक न्यायालय के लिए परामर्श कार्यवाही की नियमित निगरानी आवश्यक है, और यदि न्यायालय लंबे समय तक स्थगन देता है तो यह निगरानी कठिन हो जाती है। उन्होंने यह टिप्पणी एक पति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसने पारिवारिक न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी और तलाक याचिका का समयबद्ध समाधान मांगा था।

हाईकोर्ट में पेश की गई जानकारी के अनुसार, 14 मार्च 2023 को फैमिली कोर्ट ने पक्षकारों को कोर्ट काउंसलर के पास भेज दिया और कार्यवाही 18 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी।

तर्क यह दिया गया कि पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण समाधान की संभावना नहीं है, तथा इतना लम्बा स्थगन अनावश्यक है।

न्यायालय ने इस तर्क से सहमति जताते हुए स्वीकार किया कि पारिवारिक न्यायालय को इतनी लंबी सुनवाई स्थगित नहीं करनी चाहिए थी। परिणामस्वरूप, न्यायमूर्ति चावला ने मामले की सुनवाई 8 अगस्त के लिए पुनर्निर्धारित कर दी ताकि समय पर समाधान सुनिश्चित हो सके।