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प्रत्येक नागरिक राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित संवैधानिक गणमान्य व्यक्तियों का सम्मान करने के लिए बाध्य है - इलाहाबाद हाईकोर्ट

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खान की एकल पीठ ने कहा कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित संवैधानिक गणमान्य व्यक्तियों का सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। न्यायालय ने यह बात उस व्यक्ति को जमानत देते हुए कही जिसने कथित तौर पर प्रधानमंत्री की आपत्तिजनक तस्वीर को व्हाट्सएप ग्रुप पर साझा किया था। इस देश के प्रधानमंत्री को किसी विशेष धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता क्योंकि वह इस देश के प्रत्येक नागरिक का प्रतिनिधित्व करते हैं।

सिंगल जज ने मोहम्मद अफाक कुटैसी की जमानत याचिका पर सुनवाई की, जिन्होंने कथित तौर पर उक्त तस्वीर को एक व्हाट्सएप ग्रुप पर शेयर किया था। उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए, 505 और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि उसने फोटो शेयर नहीं की, बल्कि फोटो शेयर करने के लिए फोन का इस्तेमाल किसी और ने किया क्योंकि वह आवेदक से रंजिश रखता था। उन्होंने आगे कहा कि आवेदक अपनी शिक्षा के संबंध में ऐसी तस्वीर को मॉर्फ नहीं कर सकता। इसके अलावा, आवेदक भारत के संविधान में विश्वास करते हैं और उसका सम्मान करते हैं। सरकारी वकील ने इस आधार पर जमानत का विरोध किया कि आवेदक ने देश के प्रधानमंत्री का अपमान किया है।

अदालत ने यह देखते हुए ज़मानत दे दी कि आवेदक 18 सितंबर 2021 से जेल में है और उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। आवेदक ने बिना शर्त माफ़ी भी मांगी।


लेखक: पपीहा घोषाल