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बलात्कार जैसे जघन्य अपराध की एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती - दिल्ली हाईकोर्ट
1 अप्रैल 2021
हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय, POCSO के तहत अपराधों के आरोपी याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोपों के तहत दायर एक आवेदन को रद्द करने पर विचार कर रहा था।
पृष्ठभूमि
दानिश शर्मा के खिलाफ आईपीसी की धारा 354, 354 डी, 596, 509, 34 और पोक्सो की धारा 10 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। दानिश कथित तौर पर पीड़िता (दूर के रिश्तेदार) के घर नौकरी की तलाश में गया था और बाद में परिवार के लिए छोटे-मोटे घरेलू काम करने लगा। उसने पीड़िता को परेशान करना शुरू कर दिया और जब परिवार को इस बारे में पता चला तो उसे घर से निकाल दिया गया। कुछ समय बाद, पीड़िता और उसका परिवार एक शादी में शामिल होने के लिए जालंधर गए, जहाँ उसकी मुलाकात दानिश और दो अन्य भतीजों से हुई। भतीजों ने उसे अपनी दोस्ती स्वीकार करने के लिए धमकाना शुरू कर दिया और अगर उसने इनकार किया तो वे उसकी नग्न तस्वीरें लीक कर देंगे। तदनुसार, याचिकाकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
फ़ैसला
न्यायालय ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि "संहिता की धारा 482 के तहत उच्च न्यायालय के पास उन अपराधों को भी रद्द करने का अधिकार है जो समझौता योग्य नहीं हैं, जहां पक्षों ने आपस में मामला सुलझा लिया है, लेकिन इस अधिकार का प्रयोग निष्पक्षता और सावधानी के साथ किया जाना चाहिए। बलात्कार का अपराध एक जघन्य अपराध है, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत दंडनीय है।"
लेखक: पपीहा घोषाल