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पत्रकार श्याम सिंह और अन्य कार्यकर्ताओं पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज, शीर्ष अदालत पहुंचे

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पत्रकार श्याम मीरा सिंह और अन्य कार्यकर्ताओं ने त्रिपुरा पुलिस द्वारा उन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया। पत्रकार श्याम मीरा सिंह पर उनके ट्वीट, “त्रिपुरा जल रहा है” के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली त्रिपुरा सरकार ने यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था।

यूएपीए नोटिस सुप्रीम कोर्ट के चार वकीलों, अंसार इंदौरी, एहतेशाम हाशमी, अमित श्रीवास्तव और मुकेश कुमार को भी भेजे गए, जिन्होंने सोशल मीडिया पर अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने से पहले त्रिपुरा राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की तथ्य-खोजी जांच की थी। त्रिपुरा पुलिस ने 100 से अधिक सोशल मीडिया अकाउंट धारकों पर अधिनियम, जालसाजी के मामलों और आपराधिक साजिश के तहत मामला दर्ज किया। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब अधिकारियों को भी नोटिस जारी कर उनसे अपने अकाउंट फ्रीज करने और अकाउंट धारकों का विवरण देने को कहा।

रिपोर्टों के अनुसार, दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के विरोध में प्रदर्शन कर रहे समूहों द्वारा रैलियों के दौरान मुसलमानों की 12 से अधिक मस्जिदों, तीन घरों और नौ दुकानों में तोड़फोड़ की गई।

त्रिपुरा पुलिस ने दावा किया कि सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने दावे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है।


लेखक: पपीहा घोषाल