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केरल हाईकोर्ट ने फिल्म निर्माता आयशा सुल्ताना को टेलीविजन पर उनकी टिप्पणी के लिए अग्रिम जमानत दी

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केरल हाईकोर्ट ने लक्षद्वीप की फिल्म निर्माता आयशा सुल्ताना को एक पैनल चर्चा के दौरान राष्ट्रीय टेलीविजन पर टिप्पणी करने के लिए उनके खिलाफ लगाए गए राजद्रोह के आरोपों में अग्रिम जमानत दे दी। सुल्ताना ने कहा कि केंद्र सरकार ने द्वीप के मूल निवासियों के खिलाफ कोविड 19 को जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। जिसके बाद उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए और 153बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

न्यायमूर्ति अशोक मेनन ने फैसला सुनाया कि उनके बयान में ऐसा कोई संकेत नहीं है, जो राष्ट्रीय हित के लिए हानिकारक हो, न ही यह किसी वर्ग के लोगों को दूसरे समूह के लोगों के खिलाफ प्रचारित करता हो। इसलिए यह संदिग्ध है कि क्या इस मामले में धारा 153-ए लागू होगी। इसलिए, अंतरिम अग्रिम जमानत को निरपेक्ष बनाया जाता है।

समयावधि

  1. लक्षद्वीप पुलिस ने एक भाजपा नेता की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की।
  2. आयशा सुल्ताना ने इस महीने की शुरुआत में अग्रिम जमानत के लिए केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
  3. 17 जून को न्यायालय ने एक सप्ताह के लिए अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था, साथ ही निर्देश दिया था कि यदि पूछताछ के बाद सुल्ताना को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे अंतरिम अग्रिम जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा।
  4. अदालत ने सुल्ताना को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत पूछताछ के लिए पुलिस के साथ सहयोग करने का भी निर्देश दिया।
  5. कल लक्षद्वीप पुलिस ने एक आवेदन दायर कर आरोप लगाया कि फिल्म निर्माता सुल्ताना ने अदालत के पिछले आदेश का दुरुपयोग किया है। प्रशासन का मानना था कि ये घटनाक्रम उनकी जमानत याचिका पर फैसला लेने के लिए प्रासंगिक थे और इसलिए उन्होंने संबंधित दस्तावेज दाखिल किए।
  6. हालांकि, आज अदालत ने अग्रिम जमानत मंजूर कर ली, लेकिन सीआरपीसी की धारा 482 के तहत कार्यवाही रद्द नहीं की।

लेखक: पपीहा घोषाल