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केरल हाईकोर्ट ने राजनीतिक दलों को बिना अनुमति के सार्वजनिक स्थानों पर ध्वज लगाने की अनुमति देने पर राज्य सरकार की खिंचाई की

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केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर राजनीतिक दलों को अपेक्षित अनुमति प्राप्त किए बिना सार्वजनिक क्षेत्रों या 'पोरम्बोके' भूमि पर ध्वज स्थापित करने की अनुमति देने पर जवाब मांगा है।

न्यायालय ने पाया कि राजनीतिक दलों द्वारा झंडे के मस्तूल जहाँ भी लगाए जाने चाहिए, जैसे कि राज्य के हर चौराहे और सार्वजनिक उपयोगिता वाहनों के लिए आवंटित स्टैंड। न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, "यदि कोई राजनीतिक दल से अपने झंडे के मस्तूलों को दूसरी जगह लगाने के लिए कहता है, तो झगड़ा होता है, जिससे इस देश में सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा होता है। यदि कोई आम आदमी भी ऐसा ही करता है, तो उसके खिलाफ सभी तरह के मामले दर्ज किए जाएंगे और उस व्यक्ति को बर्बाद कर दिया जाएगा।"

न्यायालय ने यह आदेश एक संपत्ति मालिक द्वारा दायर याचिका पर पारित किया, जिसमें राजनीतिक दलों द्वारा उसकी संपत्ति पर लगाए गए झंडे हटाने के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की गई थी। सरकारी वकील, ईसी बिनीश ने तर्क दिया कि झंडा याचिकाकर्ता की संपत्ति पर नहीं बल्कि सड़क के किनारे लगाया गया था।

न्यायालय ने कहा कि निजी संपत्ति या सार्वजनिक संपत्ति पर झंडा लगाना अप्रासंगिक है, यदि इसे उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना लगाया गया हो।


लेखक: पपीहा घोषाल