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मद्रास हाईकोर्ट ने स्कूल में शिकायत पेटी रखने का निर्देश दिया ताकि छात्र आगे आकर यौन उत्पीड़न के मामलों की शिकायत कर सकें

मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने 12 वर्षीय छात्रा के यौन उत्पीड़न के मामले में पादरी की सजा बरकरार रखी। मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा कि छात्राएं अक्सर शिक्षकों और प्रबंधन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने से डरती हैं। न्यायालय ने एक समिति गठित करने और स्कूलों में मासिक निरीक्षण करने का सुझाव दिया।
अदालत ने स्कूलों में शिकायत पेटी रखने का भी निर्देश दिया ताकि छात्र खुलकर सामने आकर यौन उत्पीड़न की शिकायत कर सकें। पेटी की चाबियाँ सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को दी जाएँगी या उनके नियंत्रण में रखी जाएँगी। साथ ही उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे सप्ताह में एक बार जिला समाज कल्याण अधिकारी के साथ मिलकर पेटी का निरीक्षण करें।
माननीय न्यायालय ने एक पादरी की अपील को खारिज करते हुए ये निर्देश जारी किए, जिसे यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के तहत 5 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। अपीलकर्ता ने पीड़िता को अपने घर बुलाया और उसके बाद उसका यौन शोषण किया। 8वीं कक्षा की छात्रा ने तुरंत अपनी सहेली और बाद में अपनी दादी को सूचित किया।
अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि घटना के समय वह अपने घर पर मौजूद नहीं था, जिसका समर्थन उसके बच्चे और पत्नी ने भी किया। उसने आगे तर्क दिया कि चर्च के चुनावों में किसी गड़बड़ी के कारण उसके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए। हालांकि, अदालत ने पाया कि वह कोई अन्य स्वतंत्र बहाना पेश करने में विफल रहा।
लेखक: पपीहा घोषाल