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मालेगांव विस्फोट आरोपी प्रज्ञा ठाकुर ने स्वास्थ्य कारणों से मुकदमे से छूट मांगी

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सांसद और मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए मुंबई की एक अदालत में सुनवाई में शामिल होने से छूट मांगी है। वह अदालत की सुनवाई के लिए करीब दो घंटे देरी से पहुंची और अदालत को अपनी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में बताया, जिसके कारण वह सुबह की सुनवाई में शामिल नहीं हो सकीं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम (एनआईए अधिनियम) के तहत विशेष अदालत ने आरोपियों के बयान दर्ज करने के लिए मामले की सुनवाई 3 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी।

2008 में हुए मालेगांव विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे। इस मामले को शुरू में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने संभाला था, जिसे 2011 में एनआईए को सौंप दिया गया था। अक्टूबर 2018 में ठाकुर और अन्य आरोपियों के खिलाफ़ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आरोप तय किए गए थे।

एनआईए ने अपने आरोपपत्र में 400 गवाहों का हवाला दिया था, लेकिन उनमें से 21 की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई। अभियोजन पक्ष द्वारा अपनी गवाही पूरी करने के लगभग पांच साल बाद मुकदमा शुरू हुआ। एनआईए द्वारा अदालत में पेश किए गए 323 गवाहों में से 34 अपने बयान से पलट गए। एनआईए ने पुष्टि की कि उसके पास पेश करने के लिए अभियोजन पक्ष का कोई और गवाह नहीं है।

इसके बाद अदालत ने सातों आरोपियों को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए अदालत में पेश होने के लिए बुलाया। सात में से छह आरोपी निर्धारित समय पर अदालत में पेश हुए, जबकि ठाकुर बाद में पहुंची और अपनी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में बताया।

अदालत में मौजूद अन्य आरोपियों में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे। सातवें आरोपी सुधाकर द्विवेदी मौजूद नहीं थे और अदालत ने उनकी छूट की याचिका खारिज करते हुए उनके खिलाफ 5,000 रुपये का जमानती वारंट जारी किया।

लेखक: अनुष्का तरानिया

समाचार लेखक, एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी