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राष्ट्रगान न गाना या उसके लिए खड़ा न होना मौलिक कर्तव्यों का पालन नहीं है, लेकिन यह कोई अपराध नहीं है - जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजीव कुमार की एकल पीठ ने एक कॉलेज व्याख्याता के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करते हुए कहा कि राष्ट्रगान नहीं गाना या उसके लिए खड़ा नहीं होना राष्ट्रगान का अपमान करने और भारत के संविधान के मौलिक कर्तव्यों का पालन करने में विफलता के समान हो सकता है, लेकिन यह राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत अपराध नहीं है।
न्यायालय एक सरकारी डिग्री कॉलेज में लेक्चरर के रूप में कार्यरत याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका तब दायर की गई थी जब छात्रों के एक समूह ने प्रदर्शन किया और पड़ोसी देश के खिलाफ भारतीय सेना द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के कॉलेज समारोह के दौरान कथित तौर पर राष्ट्रगान का सम्मान नहीं करने के लिए लेक्चरर के खिलाफ एसडीएम को लिखित शिकायत लिखी।
न्यायालय ने आगे कहा कि "धारा 3 को पढ़ने के बाद यह स्पष्ट है कि भारतीय राष्ट्रगान के गायन में लगे किसी भी समूह को जानबूझकर रोकना या व्यवधान उत्पन्न करना तीन वर्ष तक के कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डनीय है।"
भारतीय राष्ट्रगान का अनादर करना कोई अपराध नहीं है। यह तभी अपराध है जब किसी व्यक्ति का आचरण गायन में लगी किसी सभा को रोकने या व्यवधान उत्पन्न करने की ओर ले जाता है।
लेखक: पपीहा घोषाल