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आजकल लोग रिश्वत लेने के नए-नए तरीके अपना रहे हैं - दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने टिप्पणी की कि लोगों ने रिश्वत लेने के नए-नए तरीके अपना लिए हैं। लोग डरने लगे हैं, इसलिए उन्हें या तो इसे कहीं छोड़ देने या कहीं रख देने के लिए कहा जाता है।
दिल्ली उच्च न्यायालय एक पुलिस अधिकारी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें विशेष केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गई थी। सीबीआई को एक शिकायत मिली थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि अधिकारी ने शिकायत से उसका और उसके पति का नाम हटाने के लिए एक महिला से रिश्वत मांगी थी। तदनुसार, 22 फरवरी, 2020 को विशेष सीबीआई अदालत ने पाया कि तथ्य भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत अपराध का खुलासा करते हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील आलोक ने कहा कि सीबीआई ने पैसे की मांग या स्वीकृति का कोई रिकॉर्ड नहीं दिखाया है। इसके अलावा, यह मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के अंतर्गत नहीं आता है। जांच एजेंसी द्वारा मांग के सत्यापन के बाद पैसे की मांग की जानी चाहिए और फिर पैसे की स्वीकृति और उसके बाद वसूली की जानी चाहिए।
न्यायालय ने पक्ष की बात सुनने के बाद पूछा कि कोई व्यक्ति बिना किसी की नजर में आए पुलिस थाने में पैसे कैसे रख सकता है? यह बात आम तौर पर सभी जानते हैं कि लोग पुलिस थाने से डरते हैं, इसलिए पुलिस थाने में घुसकर पैसे रखना असंभव है।
इस पर एडवोकेट आलोक ने जवाब दिया कि पुलिस अधिकारी एक मामले की जांच कर रहा था जिसमें दो परस्पर शिकायतें थीं, जिनमें शिकायतकर्ता का आपराधिक इतिहास था।
न्यायालय ने मामले की सुनवाई सितम्बर माह के लिए स्थगित कर दी।
लेखक: पपीहा घोषाल