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एनएसए हिरासत - ऐसे मामलों में कानूनी दायित्व का निर्वहन 'बड़ी जिम्मेदारी की भावना' के साथ किया जाना चाहिए

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एनएसए हिरासत- ऐसे मामलों में कानूनी दायित्व का निर्वहन 'बड़ी जिम्मेदारी की भावना' के साथ किया जाना चाहिए

22 दिसंबर

उड़ीसा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस.के. पाणिग्रही और न्यायमूर्ति संजू पांडा की खंडपीठ ने एस.के. मबूद नामक एक व्यक्ति की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत निवारक हिरासत के आदेश को रद्द कर दिया। उड़ीसा उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत से संबंधित मामलों में कानूनी जिम्मेदारी को बड़ी जिम्मेदारी के साथ निपटाने की जरूरत है।

न्यायालय ने कहा कि "निवारक निरोध की शक्ति का क्रियान्वयन उचित सावधानी और समुचित देखभाल के साथ किया जाना चाहिए। संवैधानिक शासन के प्रशासन में, शक्ति का प्रयोग करने वालों और जिन लोगों पर या जिनके संबंध में ऐसी शक्ति का प्रयोग किया जाता है, उनके बीच समझ की आवश्यकता होती है।"

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 की धारा 3 (2) के तहत जिला मजिस्ट्रेट, बालासोर द्वारा पारित दिनांक 12.02.2020 के हिरासत के आदेश के खिलाफ एसके मबूद द्वारा एक आपराधिक रिट याचिका दायर की गई थी। उन्होंने दावा किया कि हिरासत में लेने वाले अधिकारी ने बंदी के खिलाफ रिपोर्ट पेश करते समय मूल तथ्यों, सामग्री विवरणों का खुलासा नहीं किया, जिसके कारण हिरासत का आदेश पारित किया गया।