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हमारा देश अभी सभ्यता के उस स्तर पर नहीं पहुंचा है जहां अविवाहित लड़कियां सिर्फ मौज-मस्ती के लिए लड़कों के साथ शारीरिक संबंध बनाती हों - एमपी हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक जमानत याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की कि,
"भारत एक रूढ़िवादी समाज है और अभी तक सभ्यता के उस स्तर तक नहीं पहुंचा है जहां अविवाहित लड़कियां, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, शादी के किसी आश्वासन के बिना केवल मनोरंजन के लिए लड़कों के साथ शारीरिक गतिविधियों में लिप्त रहती हैं।"
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई की, जिस पर आरोप है कि उसने शादी का झांसा देकर अभियोक्ता से बलात्कार किया है। आवेदक/आरोपी की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि आरोपी और अभियोक्ता के बीच दो साल से संबंध थे। अभियोक्ता ने 21 साल की उम्र में अपनी मर्जी से शारीरिक संबंध बनाए। यह झूठ है कि यह घटना तीन साल पहले हुई थी। आगे यह तर्क दिया गया कि आरोपी और अभियोक्ता के परिवारों ने उनकी शादी का विरोध किया क्योंकि आवेदक हिंदू धर्म का है और अभियोक्ता मुस्लिम धर्म की है।
इसलिए, यह तर्क नहीं दिया जा सकता कि आवेदक ने शादी का झांसा देकर बलात्कार किया है।
राज्य की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि आवेदक ने अक्टूबर 2018 से शादी का झांसा देकर लगातार बलात्कार किया। उसने अभियोक्ता से शादी करने से इनकार कर दिया और 1 जून को उसने बताया कि उसकी शादी किसी और से तय हो गई है। इसके बाद अभियोक्ता ने फिनाइल पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन वह बच गई।
न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि,
"शारीरिक संबंध बनाने वाले लड़कों को इसके परिणामों को समझना चाहिए और लड़कियों की तरह संघर्ष का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि आमतौर पर लड़कियों को ही इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है, क्योंकि अगर उनके संबंधों का खुलासा हो जाता है तो उनके गर्भवती होने और समाज में बदनामी का खतरा रहता है। आप अभियोक्ता की सहमति का दावा करके घर वापस आकर हंस नहीं सकते।"
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लेखक: पपीहा घोषाल