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दिल्ली उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर विकलांग उम्मीदवारों के लिए सिविल सेवा परीक्षा में असीमित संख्या में प्रयास की मांग की गई है

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने विकलांग (पीडब्ल्यूडी) श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए सिविल सेवा परीक्षा में बैठने के लिए असीमित अवसरों की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद केंद्र सरकार, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को नोटिस जारी किए।

याचिकाकर्ता ने वर्टिकल श्रेणी में उनके आरक्षण के बावजूद 47 वर्ष तक की आयु में छूट के लिए भी प्रार्थना की। याचिकाकर्ता ने आर्यन राज बनाम चंडीगढ़ प्रशासन और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था - "विकलांग व्यक्ति सार्वजनिक शिक्षा और रोजगार में एससी/एसटी उम्मीदवारों के समान छूट के लाभ के हकदार हैं, क्योंकि उन्हें भी सामाजिक रूप से पिछड़ा माना जाता है।"

याचिकाकर्ता एनजीओ इवारा फाउंडेशन ने भी सिविल सेवा परीक्षा 2021 की अधिसूचना को चुनौती दी और इस आधार पर रोक लगाने की मांग की कि दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए 29 रिक्तियों में से केवल 22 रिक्तियों का विज्ञापन किया गया है। हालांकि, कोर्ट ने इस चुनौती को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

याचिकाकर्ताओं ने अन्य राहतें भी मांगी हैं, जैसे कि 1996 से दिव्यांग वर्ग के लोगों के लिए आरक्षित सभी बैकलॉग रिक्तियों की जांच कराना और परीक्षाओं के माध्यम से उन बैकलॉग रिक्तियों को भरना।


लेखक: पपीहा घोषाल