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इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिवक्ताओं के ड्रेस कोड पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकीलों के लिए निर्धारित ड्रेस कोड (काला कोट और लबादा) पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि यह भारत की जलवायु परिस्थितियों के खिलाफ है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र और हाईकोर्ट प्रशासन से 18 अगस्त तक जवाब भी मांगा है।
याचिका अशोक पांडे (व्यक्तिगत रूप से पक्षकार) द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से देश की जलवायु के अनुसार वकीलों के लिए वर्दी या पोशाक निर्धारित करने के लिए नए नियम बनाने का निर्देश देने का आग्रह किया था। जनहित याचिका में उच्च न्यायालय प्रशासन द्वारा तैयार किए गए एक परिपत्र को रद्द करने की भी मांग की गई थी, जिसमें कहा गया था कि अधिवक्ताओं के लिए वर्दी या पोशाक देश की जलवायु के अनुसार होनी चाहिए।
काले कपड़े पहनने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा, जनहित याचिका में बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स, 1975 द्वारा वकीलों के लिए निर्धारित ड्रेस कोड पर रोक लगाने की मांग की गई है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि अधिवक्ता का बैंड ईसाई धर्म का धार्मिक प्रतीक है, इसलिए गैर-ईसाइयों को इसे पहनने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही, सफेद साड़ी और सलवार कमीज पहनना हिंदू धर्म और संस्कृति के अनुसार विधवा का प्रतीक है, इसलिए बीसीबी की ओर से इस पर कोई विचार नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि बार काउंसिल को नौसेना, सेना और वायु सेना के लिए निर्धारित ड्रेस कोड की तर्ज पर वकीलों के लिए भी कुछ ड्रेस कोड निर्धारित और डिजाइन करना चाहिए।
न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही थी।
लेखक: पपीहा घोषाल