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किशोरियों को अलग शौचालय और सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराना बालिकाओं के सशक्तिकरण का उदाहरण है - कर्नाटक उच्च न्यायालय

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3 अप्रैल 2021.

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को शुचि योजना के क्रियान्वयन के संबंध में 16 अप्रैल तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश 2018 में एंटी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा शुचि योजना के सख्त क्रियान्वयन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया। शुचि योजना के तहत स्कूलों में पढ़ने वाली और छात्रावासों में रहने वाली 10 से 19 वर्ष की आयु की किशोरियों के बीच सैनिटरी नैपकिन वितरित किए जाते हैं।

पीठ ने कहा कि किशोरियों को अलग शौचालय और सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराना न केवल बालिकाओं के सशक्तीकरण का उदाहरण है, बल्कि अनुच्छेद 21 ए को लागू करने की दिशा में भी एक कदम है। पीठ ने राज्य सरकार की योजना की भी सराहना की, क्योंकि उसने इस योजना को 14 वर्ष तक ही नहीं, बल्कि 10 से 19 वर्ष तक के लिए बढ़ा दिया है।

सुनवाई के दौरान, कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (केएसएलएसए) की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के माध्यम से पीठ को बताया गया कि राज्य के 889 स्कूलों में से केवल 63% स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय हैं, जिनमें से 82% कार्यात्मक हैं, और 32% में अलग शौचालय नहीं हैं।

तदनुसार, खंडपीठ ने के.एस.एल.एस. को 889 स्कूलों के पते उपलब्ध कराने का निर्देश दिया, ताकि यह विचार किया जा सके कि क्या राज्य सरकार ने उन 889 स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए कदम उठाए हैं। मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।

लेखक: पपीहा घोषाल