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सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के ट्विन टावरों को ध्वस्त करने और फ्लैट मालिकों को प्रतिपूर्ति का आदेश दिया

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मंगलवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2014 के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें सुपरटेक लिमिटेड के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 मंजिला ट्विन टावरों को 3 महीने के भीतर गिराने का निर्देश दिया गया था। बेंच ने बिल्डर को विध्वंस की लागत वहन करने और सभी फ्लैट मालिकों को 12% ब्याज के साथ प्रतिपूर्ति करने का भी आदेश दिया।

शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट अधिनियम 2010 और उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम 1976 का उल्लंघन करने के लिए बिल्डर के साथ साजिश रचने के लिए नोएडा के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने का भी निर्देश दिया। अदालत ने माना कि टावर के लिए 2009 में नोएडा के अधिकारियों द्वारा दी गई अनुमति न्यूनतम दूरी की आवश्यकताओं और राष्ट्रीय भवन संहिता के विरुद्ध थी। अदालत ने आगे यह कहते हुए निराशा व्यक्त की कि यह मामला बिल्डर और नोएडा के बीच मिलीभगत से भरा हुआ था और इस तरह की मिलीभगत से ट्विन टावर का अवैध निर्माण हासिल किया गया था।

अदालत ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण में वृद्धि हुई है, जहाँ भूमि के बढ़ते मूल्य संदिग्ध सौदों को बढ़ावा देते हैं, जो कई मामलों में देखा गया है। यह अदृश्य फ्लैट मालिक हैं जो योजनाकारों और बिल्डरों के बीच अपवित्र सांठगांठ का शिकार होते हैं।


लेखक: पपीहा घोषाल