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टेंडर आरोपों के मामले में सुप्रीम कोर्ट को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री से सीलबंद रिपोर्ट मिली

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सुप्रीम कोर्ट को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू की एक सीलबंद रिपोर्ट मिली है, जिसमें एक दशक पहले सरकारी टेंडर देने में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी ने इस मामले में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) से सहायता लेने की अपनी मंशा भी जताई है।

यह मामला एनजीओ "स्वैच्छिक अरुणाचल सेना" द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका से उत्पन्न हुआ है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अरुणाचल प्रदेश में सरकारी ठेके उचित निविदा प्रक्रिया के बिना दिए गए थे। यह याचिका मूल रूप से 2010 में दायर की गई थी, जिसमें 2007 में दायर एक जनहित याचिका को खारिज करने को चुनौती दी गई थी, जिसमें 2007-2011 के दौरान मुख्यमंत्री रहे दोरजी खांडू को प्रतिवादियों में से एक माना गया था। वर्तमान मुख्यमंत्री पेमा खांडू को बाद में प्रतिवादी के रूप में जोड़ा गया।

सुनवाई के दौरान मौजूदा मुख्यमंत्री की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने सीलबंद रिपोर्ट पेश की। जवाब में कोर्ट ने रिपोर्ट की विषय-वस्तु की समीक्षा करने का फैसला किया और अगली सुनवाई 11 अक्टूबर के लिए निर्धारित की। कोर्ट ने सीएजी से मार्गदर्शन लेने की भी मंशा जताई।

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ने कहा, "हमारा पहला प्रयास सीएजी से इस बारे में जानकारी प्राप्त करना है। उन्हें पक्षकार बनाये बिना, हम सिर्फ सीएजी की सहायता ले रहे हैं।"

याचिकाकर्ता संगठन "स्वैच्छिक अरुणाचल सेना" का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रशांत भूषण ने न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया।

न्यायमूर्ति बोस ने ऐसे मामलों से जुड़े नियमों और दिशा-निर्देशों को समझने की इच्छा जताई और इस बात पर विचार किया कि क्या इसकी जांच पुलिस द्वारा की जानी चाहिए। उन्होंने राज्य-विशिष्ट नियमों और दिशा-निर्देशों तथा अरुणाचल प्रदेश की अनूठी विशेषताओं के बारे में जानकारी ली।

कार्यवाही के दौरान, भूषण ने मामले से जुड़े व्यक्तियों के सामने आने वाली धमकियों के बारे में चिंता जताई, उन्होंने सशस्त्र धमकियों और डराने-धमकाने का हवाला दिया। न्यायमूर्ति बोस ने आश्वासन दिया कि न्यायालय इन मुद्दों से अवगत है और उन्हें सौंपी गई रिपोर्ट की गहन समीक्षा करेगा।

लेखक: अनुष्का तरानिया

समाचार लेखक, एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी