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ओडिशा कोर्ट ने राज्य के डीजीपी को एफआईआर तैयार करते समय फॉन्ट साइज और लाइन स्पेसिंग के संबंध में निर्देश जारी करने का निर्देश दिया

30 मार्च 2021
हाल ही में, तुनिराई प्रधान एवं अन्य बनाम ओडिशा राज्य के मामले में याचिकाकर्ता के वकील ने उच्च न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र की एक प्रति प्रस्तुत की। उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोप पत्र बहुत छोटे फ़ॉन्ट के कारण ठीक से दिखाई नहीं देता है। इस तरह के छोटे फ़ॉन्ट के कारण इसे पढ़ते समय न्यायालय का समय और ऊर्जा बर्बाद होती है। माननीय न्यायालय ने राज्य के डीजीपी को निर्देश दिया कि वे सभी पुलिस अधिकारियों को एफआईआर तैयार करते समय फ़ॉन्ट आकार (12) और लाइन स्पेसिंग (1.5) के उपयोग के बारे में निर्देश जारी करें। हस्तलिखित दस्तावेज़ों को भी यथासंभव बेहतर और सुपाठ्य लिखावट के साथ तैयार किया जाना चाहिए।
ओडिशा के डीजीपी को भी निर्देश जारी करने के बाद आज से तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया है।
"इस तरह से चुने गए फ़ॉन्ट की पठनीयता उच्च होनी चाहिए। छोटे फ़ॉन्ट और अनियमित लाइन स्पेसिंग या थोड़े धुंधले अक्षर या खराब लिखावट पढ़ने में गड़बड़ी का संकेत देते हैं और दिमाग में सूचना प्रसंस्करण में बाधा डालते हैं। फ़ॉन्ट का आकार, लाइन स्पेसिंग आदि बदलने में लगभग कुछ भी खर्च नहीं होता है, लेकिन इससे हमारे द्वारा पढ़े जाने वाले पाठ की पठनीयता पर बहुत प्रभाव पड़ेगा।"
लेखक: पपीहा घोषाल