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शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार को लखीमपुर खीरी मामले के गवाह को सुरक्षा देने का निर्देश दिया

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शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को लखीमपुर खीरी घटना के गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को गवाहों के बयान शीघ्रता से दर्ज करने का भी निर्देश दिया।

स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद सीजेआई ने पूछा, "आपने एक को छोड़कर सभी आरोपियों को पुलिस हिरासत में क्यों रखा है? जिस पर यूपी सरकार की अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने पीठ को बताया कि गवाहों के बयान अभी भी दर्ज किए जा रहे हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ को आगे बताया कि 68 में से 30 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। इसके बाद कोर्ट ने पूछा, "केवल 23 लोग ही थे? रैली में सैकड़ों किसान थे"। जिस पर साल्वे ने जवाब दिया कि "जिन लोगों ने कार में बैठे लोगों को देखा, वे पहले से ही वहां मौजूद हैं।"

साल्वे के जवाब से असंतुष्ट न्यायमूर्ति कांत ने कहा, "वहां करीब 4,000 या 5,000 स्थानीय लोग थे। घटना के बाद उनमें से ज्यादातर लोग जांच की मांग कर रहे हैं। वाहन में ऐसे लोगों की पहचान करना कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए।"

साल्वे ने अदालत को बताया कि सभी सोलह आरोपियों की पहचान कर ली गई है।

अदालत ने अंततः मामले को 8 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया।

पृष्ठभूमि

इससे पहले, न्यायालय ने घटना की जांच में ढिलाई बरतने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई की थी। न्यायालय ने घटना के संबंध में दर्ज एफआईआर और की गई गिरफ्तारियों पर उत्तर प्रदेश सरकार से स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।


लेखक: पपीहा घोषाल