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सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या को अवमानना मामले में चार महीने की कैद और 2,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई
मामला: भारतीय स्टेट बैंक एवं अन्य बनाम डॉ. विजय माल्या
पीठ: न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या को उनके खिलाफ अवमानना मामले में चार महीने की कैद और 2,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। इसके अलावा कोर्ट ने भगोड़े उद्योगपति को चार सप्ताह के भीतर ब्याज सहित 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर जमा करने का आदेश दिया, ऐसा न करने पर उनकी संपत्ति कुर्क कर ली जाएगी। जुर्माना कोर्ट की कानूनी सेवा समिति के पास जमा करना है और ऐसा न करने पर सजा दो महीने और बढ़ जाएगी।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अवमानना के लिए दंड इसलिए दिया गया क्योंकि माल्या ने अपने आचरण के लिए कोई पश्चाताप नहीं दिखाया या माफी नहीं मांगी। पीठ ने विदेश मंत्रालय सहित सरकार को भी निर्देश दिया कि वे उचित परिश्रम के साथ निर्देशों का पालन करें और इस न्यायालय की रजिस्ट्री को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
अवमानना याचिका भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और अन्य बैंकों द्वारा दायर की गई थी। उन्होंने माल्या को विदेशी फर्म डियाजियो से प्राप्त 40 मिलियन डॉलर जमा करने का निर्देश देने की मांग की। बैंकों ने आरोप लगाया कि माल्या ने तथ्यों को छिपाया और कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का उल्लंघन करते हुए अपने बेटे और बेटी को पैसे हस्तांतरित किए।
विजय माल्या पर अपनी बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस से संबंधित 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक ऋण को न चुकाने का आरोप है।
यह सुनवाई विजय माल्या की अनुपस्थिति में हुई, जो ब्रिटेन भाग गए हैं।
केंद्र ने इससे पहले अदालत को सूचित किया था कि यद्यपि विजय माल्या को ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की अनुमति दी गई थी, लेकिन वहां उसके खिलाफ लंबित "गुप्त" कार्यवाही के कारण उसे भारत नहीं लाया जा सका, जिसका विवरण केंद्र को ज्ञात नहीं है।
न्यायालय ने विजय माल्या को उपस्थित होने की अनुमति देने के लिए कुछ बार सुनवाई स्थगित की थी, लेकिन अंततः उनके उपस्थित होने से इनकार करने के कारण उनकी अनुपस्थिति में ही सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया था।