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महिलाएं अब भी दिन में भी बिना डर के बाहर नहीं निकल पातीं - मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में पोलाची बलात्कार मामले में एक आरोपी द्वारा दायर डिफ़ॉल्ट जमानत याचिका को खारिज करते हुए देश में महिलाओं की खराब सुरक्षा स्थिति का वर्णन किया।
न्यायमूर्ति एम ढांडापानी ने कहा कि राष्ट्रपिता ने कहा था कि देश की आजादी तभी सफल होगी जब देश की महिलाएं बिना किसी डर के बाहर निकल सकेंगी। लेकिन, स्थिति इससे बिलकुल अलग है। महिलाएं दिन में भी बिना किसी डर के बाहर नहीं निकल पाती हैं।
पृष्ठभूमि
पोलाची और कोयंबटूर में एक गिरोह ने कॉलेज की छात्राओं समेत सैकड़ों महिलाओं के साथ बलात्कार किया और उन्हें ब्लैकमेल किया। गिरोह ने फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए इन महिलाओं से संपर्क किया और उन्हें मीटिंग में बुलाया; महिलाओं का यौन शोषण किया गया और कैमरे पर रिकॉर्ड किया गया और फिर वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए उन्हें ब्लैकमेल किया गया। इस मामले को राजनीतिक रूप से पलटवार माना गया और AIADMK के एक युवा सदस्य सहित लोगों के एक समूह ने इस पर हमला किया। फरवरी 2019 में पीड़िता के भाई द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बाद यह मामला प्रकाश में आया। हंगामे के बाद कोयंबटूर के एसपी ने पीड़िता और उसके भाई का नाम उजागर किया; तमिलनाडु सरकार ने भी पीड़िता का नाम उजागर किया। इसके बाद मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया गया।
उच्च न्यायालय ने निराशा व्यक्त की और अधिकारियों के कृत्य के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति ढांडापानी ने मामले की शीघ्र सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न निर्देश जारी किए। अदालत को यह भी निर्देश दिया गया कि मुकदमे की सुनवाई शुरू होने की तारीख से 6 महीने के भीतर पूरी की जाए।
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लेखक: पपीहा घोषाल