वर्ष: 1946
अधिनियम : विदेशियों के संबंध में केन्द्रीय सरकार को कुछ शक्तियां प्रदान करने के लिए अधिनियम।
चूंकि यह समीचीन है कि विदेशियों के भारत में प्रवेश, भारत में उनकी उपस्थिति तथा भारत से उनके प्रस्थान के संबंध में केन्द्रीय सरकार द्वारा कतिपय शक्तियों के प्रयोग का उपबंध किया जाए;
इसके द्वारा निम्नानुसार अधिनियमित किया जाता है:
1. संक्षिप्त शीर्षक और विस्तार.— (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम विदेशी विषयक अधिनियम, 1946 है।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है।
2. परिभाषाएँ.- इस अधिनियम में,-
(क) विदेशी से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जो भारत का नागरिक नहीं है;
(ख) विहित का तात्पर्य इस अधिनियम के अधीन किये गये आदेशों द्वारा विहित से है;
(ग) विनिर्दिष्ट का अर्थ है, विहित प्राधिकारी के निर्देश द्वारा विनिर्दिष्ट।
3. आदेश देने की शक्ति।- (1) केन्द्रीय सरकार, आदेश द्वारा, साधारणतया या सभी विदेशियों के संबंध में या किसी विशिष्ट विदेशी या किसी विहित वर्ग या प्रकार के विदेशी के संबंध में, भारत में विदेशियों के प्रवेश या यहां से उनके प्रस्थान या यहां उनकी उपस्थिति या निरंतर उपस्थिति को प्रतिषिद्ध, विनियमित या निर्बन्धित करने के लिए उपबंध कर सकेगी।
(2) विशिष्टतया तथा पूर्वगामी शक्तियों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, इस धारा के अधीन किए गए आदेश यह उपबंध कर सकेंगे कि विदेशी -
(क) भारत में प्रवेश नहीं करेगा अथवा केवल ऐसे समय पर तथा ऐसे मार्ग से तथा ऐसे बंदरगाह या स्थान पर तथा आगमन पर ऐसी शर्तों के पालन के अधीन रहते हुए भारत में प्रवेश करेगा, जो विहित की जाएं;
(ख) भारत से प्रस्थान नहीं करेगा अथवा केवल ऐसे समय पर तथा ऐसे मार्ग से तथा ऐसे बंदरगाह या स्थान से प्रस्थान करेगा तथा प्रस्थान पर ऐसी शर्तों के पालन के अधीन रहेगा, जो विहित की जाएं;
(ग) भारत में या उसके किसी विहित क्षेत्र में नहीं रहेगा;
(गग) यदि उससे इस धारा के अधीन आदेश द्वारा भारत में न रहने की अपेक्षा की गई है, तो वह अपने पास उपलब्ध संसाधनों से भारत से अपने निष्कासन का तथा ऐसे निष्कासन तक भारत में अपने भरण-पोषण का व्यय वहन करेगा;
(घ) भारत में ऐसे क्षेत्र में चला जाएगा तथा वहीं रहेगा, जैसा कि विहित किया जाए;
(ई) ऐसी शर्तों का पालन करेगा जो निर्धारित या निर्दिष्ट की जा सकती हैं
(i) उससे किसी विशेष स्थान पर निवास करने की अपेक्षा करना;
(ii) उसकी गतिविधियों पर कोई प्रतिबंध लगाना;
(iii) उससे यह अपेक्षा करना कि वह अपनी पहचान का ऐसा सबूत प्रस्तुत करे तथा ऐसे ब्यौरे ऐसे प्राधिकारी को ऐसी रीति से तथा ऐसे समय और स्थान पर रिपोर्ट करे, जैसा कि विहित या निर्दिष्ट किया जाए;
(iv) उससे यह अपेक्षा करना कि वह अपना फोटोग्राफ और अंगुलियों के निशान लेने दे तथा अपने हस्तलेख और हस्ताक्षर के नमूने ऐसे प्राधिकारी को तथा ऐसे समय और स्थान पर प्रस्तुत करे, जो विहित या निर्दिष्ट किया जाए;
(v) उससे यह अपेक्षा करना कि वह ऐसे प्राधिकारी द्वारा तथा ऐसे समय और स्थान पर, जैसा विहित या निर्दिष्ट किया जाए, ऐसी चिकित्सा परीक्षा के लिए प्रस्तुत हो;
(vi) उसे निर्धारित या निर्दिष्ट प्रकार के व्यक्तियों के साथ संगति करने से रोकना;
(vii) उसे निर्धारित या निर्दिष्ट प्रकार की गतिविधियों में संलग्न होने से रोकना;
(viii) उसे निर्धारित या निर्दिष्ट वस्तुओं का उपयोग करने या रखने से रोकना;
(ix) उसके आचरण को किसी ऐसे विशिष्ट तरीके से विनियमित करना, जैसा कि निर्धारित या निर्दिष्ट किया जा सकता है;
(च) किसी निर्धारित या निर्दिष्ट प्रतिबंध या शर्तों के उचित पालन के लिए या उनके प्रवर्तन के विकल्प के रूप में जमानतदारों के साथ या उनके बिना बांड पर हस्ताक्षर करेगा;
(छ) गिरफ्तार किया जाएगा, हिरासत में लिया जाएगा या परिरुद्ध किया जाएगा;
और किसी ऐसे विषय के लिए उपबंध कर सकेगा जो विहित किया जाना है या किया जा सकता है तथा ऐसे आनुषंगिक और अनुपूरक विषयों के लिए उपबंध कर सकेगा जो केन्द्रीय सरकार की राय में इस अधिनियम को प्रभावी करने के लिए समीचीन या आवश्यक हों।
(3) इस निमित्त विहित कोई प्राधिकारी किसी विशिष्ट विदेशी के संबंध में उपधारा (2) के खंड (ई) से खंड (एफ) के अधीन आदेश पारित कर सकेगा।
3-ए. कुछ मामलों में राष्ट्रमंडल देशों के नागरिकों और अन्य व्यक्तियों को अधिनियम के लागू होने से छूट देने की शक्ति। - (1) केन्द्रीय सरकार आदेश द्वारा घोषित कर सकती है कि इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए किसी आदेश के सभी या कोई उपबंध निम्नलिखित पर या उनके संबंध में लागू नहीं होंगे, या केवल ऐसी परिस्थितियों में या ऐसे अपवादों या संशोधनों के साथ या ऐसी शर्तों के अधीन लागू होंगे, जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाएं -
(क) किसी ऐसे राष्ट्रमंडल देश के नागरिक, जो इस प्रकार विनिर्दिष्ट किए जाएं; या
(ख) कोई अन्य व्यक्तिगत विदेशी या विदेशी वर्ग या विवरण।
(2) इस धारा के अधीन किए गए प्रत्येक आदेश की एक प्रति, उसके बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखी जाएगी।
4. नजरबंद.-- (1) कोई विदेशी (जिसे इसमें आगे नजरबंद कहा गया है) जिसके संबंध में धारा 3 की उपधारा (2) के खंड (जी) के अधीन पारित कोई आदेश प्रवृत्त है, जिसमें उसे निरुद्ध या परिरुद्ध रखने का निर्देश दिया गया है, ऐसे स्थान और रीति से तथा भरण-पोषण, अनुशासन तथा अपराधों और अनुशासन भंगों के दंड के संबंध में ऐसी शर्तों के अधीन निरुद्ध या परिरुद्ध किया जाएगा, जैसा कि केंद्रीय सरकार समय-समय पर आदेश द्वारा अवधारित करे।]
(2) कोई विदेशी (जिसे इसके पश्चात् पैरोल पर व्यक्ति कहा जाएगा) जिसके संबंध में धारा 3 की उपधारा (2) के खंड (ई) के अधीन आदेश प्रवृत्त है, जिसमें उससे कई विदेशियों की देख-रेख में निवास के लिए अलग रखे गए स्थान पर निवास करने की अपेक्षा की गई है, वहां निवास करते समय वह भरण-पोषण, अनुशासन तथा अपराधों और अनुशासन भंग के दंड के संबंध में ऐसी शर्तों के अधीन होगा, जिन्हें केंद्रीय सरकार समय-समय पर आदेश द्वारा अवधारित करे।
(3) कोई भी व्यक्ति-
(क) जानबूझकर नजरबंद व्यक्ति या पैरोल पर रिहा व्यक्ति को हिरासत से या उसके दुर्घटना के लिए निर्धारित स्थान से भागने में सहायता करना, या जानबूझकर फरार नजरबंद व्यक्ति या पैरोल पर रिहा व्यक्ति को शरण देना, या
(ख) किसी फरार नजरबंद व्यक्ति या पैरोल पर आए व्यक्ति को कोई सहायता इस आशय से देना कि नजरबंद व्यक्ति या पैरोल पर आए व्यक्ति की गिरफ्तारी में बाधा उत्पन्न हो या हस्तक्षेप हो।
(4) केन्द्रीय सरकार, आदेश द्वारा, भारत में ऐसे स्थानों तक पहुंच और वहां व्यक्तियों के आचरण को विनियमित करने के लिए उपबंध कर सकेगी जहां नजरबंद या पैरोल पर आए व्यक्तियों को, यथास्थिति, निरुद्ध या प्रतिबंधित किया गया है और ऐसे स्थानों के बाहर से नजरबंद या पैरोल पर आए व्यक्तियों के लिए ऐसी वस्तुओं के प्रेषण या परिवहन को प्रतिषिद्ध या विनियमित करने के लिए उपबंध कर सकेगी, जो विहित की जाएं।
5. नाम परिवर्तन।- (1) कोई भी विदेशी, जो इस अधिनियम के लागू होने की तारीख को भारत में था, उस तारीख के पश्चात् भारत में रहते हुए, किसी भी प्रयोजन के लिए उस नाम के अलावा कोई अन्य नाम ग्रहण या प्रयोग नहीं करेगा या ग्रहण या प्रयोग करने का प्रकल्पना नहीं करेगा जिससे वह उक्त तारीख से ठीक पहले सामान्यतः जाना जाता था।
(2) जहां, इस अधिनियम के प्रवृत्त होने की तारीख के पश्चात् कोई विदेशी व्यक्ति (चाहे अकेले या किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर) किसी ऐसे नाम या शैली से कोई व्यापार या कारबार करता है या करने का तात्पर्य रखता है, जो उस नाम या शैली से भिन्न है, जिसके अंतर्गत वह व्यापार या कारबार उक्त तारीख से ठीक पूर्व किया जा रहा था, वहां उपधारा (1) के प्रयोजनों के लिए यह समझा जाएगा कि वह उस नाम से भिन्न नाम का उपयोग कर रहा है, जिससे वह उक्त तारीख से ठीक पूर्व सामान्यतया जाना जाता था।
(3) किसी विदेशी के संबंध में, जो इस अधिनियम के प्रवृत्त होने की तारीख को भारत में नहीं था, तत्पश्चात् भारत में प्रवेश करता है, उपधारा (1) और (2) इस प्रकार प्रभावी होंगी मानो उन उपधाराओं में अधिनियम के प्रवृत्त होने की तारीख के प्रति किसी निर्देश के स्थान पर उस तारीख के प्रति निर्देश प्रतिस्थापित कर दिया गया हो, जिसको वह तत्पश्चात् भारत में प्रथम बार प्रवेश करता है।
(4) इस धारा के प्रयोजनों के लिए -
(क) नाम में उपनाम शामिल है, और
(ख) यदि किसी नाम की वर्तनी में परिवर्तन कर दिया जाए तो नाम परिवर्तित समझा जाएगा।
(5) इस धारा की कोई बात निम्नलिखित धारणा या प्रयोग पर लागू नहीं होगी-
(क) केन्द्रीय सरकार द्वारा दी गई अनुज्ञप्ति या अनुमति के अनुसरण में किसी नाम का; या
(ख) किसी विवाहित स्त्री द्वारा, उसके पति के नाम से,
टिप्पणियाँ
धारा 5 के अनुसार, भारत में रहते हुए कोई विदेशी व्यक्ति केंद्र सरकार की अनुमति के बिना अपना नाम नहीं बदलेगा या उसका उपयोग नहीं करेगा, सिवाय उस नाम के जिससे वह पहले जाना जाता था। यदि कोई विदेशी व्यक्ति वैध रूप से अपना नाम बदल लेता है और इस देश में आता है, तो यह नहीं कहा जा सकता कि वह धारा 5(3) के तहत अपराध कर रहा है। (एआईआर 1968 मद्रास 349)
6. जलयानों आदि के स्वामियों के दायित्व - (1) भारत में किसी बंदरगाह पर उतरने या चढ़ने वाले ऐसे जलयान का स्वामी, जिसके यात्री समुद्र के रास्ते उस बंदरगाह पर आते या जाते हैं तथा भारत में किसी स्थान पर उतरने या चढ़ने वाले ऐसे वायुयान का चालक, जिसके यात्री वायुमार्ग से उस स्थान पर आते या जाते हैं, ऐसे व्यक्ति को और ऐसी रीति से, जैसा विहित किया जाए, एक विवरणी देगा, जिसमें ऐसे यात्रियों या चालक दल के सदस्यों के संबंध में, जो विदेशी हैं, विहित ब्यौरे दिए जाएंगे।
(2) कोई जिला मजिस्ट्रेट और कोई पुलिस आयुक्त या जहां कोई पुलिस आयुक्त नहीं है, वहां कोई पुलिस अधीक्षक इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए किसी आदेश के प्रवर्तन से संबंधित किसी प्रयोजन के लिए ऐसे किसी जलयान के मास्टर या ऐसे किसी वायुयान के पायलट से, यथास्थिति, ऐसे जलयान या वायुयान पर सवार यात्रियों या चालक दल के सदस्यों के संबंध में ऐसी जानकारी देने की अपेक्षा कर सकेगा, जो विहित की जाए।
(3) ऐसे जलयान या वायुयान पर कोई यात्री और ऐसे जलयान या वायुयान के चालक दल का कोई सदस्य, यथास्थिति, जलयान के मास्टर या वायुयान के पायलट को उपधारा (1) में निर्दिष्ट विवरणी देने के प्रयोजन के लिए या उपधारा (2) के अधीन अपेक्षित जानकारी देने के लिए अपेक्षित कोई जानकारी देगा।
(4) यदि कोई विदेशी व्यक्ति इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए किसी आदेश के किसी उपबंध का उल्लंघन करके भारत में प्रवेश करता है, तो विहित प्राधिकारी ऐसे प्रवेश की तारीख से दो मास के भीतर उस जलयान के मास्टर या उस वायुयान के पायलट को, जिस पर ऐसा प्रवेश किया गया था या ऐसे जलयान या वायुयान के स्वामी या स्वामी के अभिकर्ता को उक्त प्राधिकारी के समाधानप्रद रूप में और सरकार के व्यय से भिन्न किसी अन्य तरीके से उक्त विदेशी व्यक्ति को भारत से निकालने के प्रयोजन के लिए जलयान या वायुयान पर स्थान उपलब्ध कराने का निर्देश दे सकेगा।
(5) किसी जलयान का स्वामी या किसी वायुयान का चालक, जो भारत में किसी बंदरगाह या स्थान से यात्रियों को भारत के बाहर किसी गंतव्य स्थान पर ले जाने वाला है, या किसी ऐसे जलयान या वायुयान का स्वामी या स्वामी का अभिकर्ता, यदि केन्द्रीय सरकार ऐसा निदेश दे और उसके लिए वर्तमान दरों पर भुगतान करने पर, भारत के बाहर ऐसे बंदरगाह या स्थान पर, जो जलयान या वायुयान का भाग या स्थान हो, जहां केन्द्रीय सरकार निर्दिष्ट करे, जलयान या वायुयान के रुकने की व्यवस्था करेगा, धारा 3 के अधीन भारत में न रहने का आदेश पाने वाले किसी विदेशी के लिए और उसके साथ यात्रा करने वाले उसके आश्रितों के लिए, यदि कोई हों।
[(6) इस धारा के प्रयोजनों के लिए—
(क) किसी जलयान के मास्टर और किसी वायुयान के पायलट के अंतर्गत ऐसा कोई व्यक्ति आएगा जिसे, यथास्थिति, ऐसे मास्टर या पायलट द्वारा इस धारा द्वारा उस पर अधिरोपित किसी कर्तव्य का उसकी ओर से निर्वहन करने के लिए प्राधिकृत किया गया हो;
(ख) यात्री से तात्पर्य ऐसे किसी व्यक्ति से है जो चालक दल का वास्तविक सदस्य न होकर किसी जलयान या वायुयान पर यात्रा कर रहा है या यात्रा करना चाहता है।
7. होटल मालिकों तथा अन्य लोगों का विवरण देने का दायित्व।- (1) किसी भी सुसज्जित या असज्जित परिसर के रखवाले का यह कर्तव्य होगा, जहां पारिश्रमिक के लिए आवास या शयन स्थान उपलब्ध कराया जाता है, वह ऐसे व्यक्ति को तथा ऐसे तरीके से ऐसे परिसर में विदेशियों के आवास के संबंध में ऐसी जानकारी प्रस्तुत करेगा, जैसा कि विहित किया जा सकता है।
स्पष्टीकरण.- इस उपधारा में निर्दिष्ट सूचना ऐसे परिसर में ठहराए गए सभी या किसी भी विदेशियों से संबंधित हो सकती है और उसे समय-समय पर या किसी विशिष्ट समय या अवसर पर प्रस्तुत करना अपेक्षित हो सकता है।
(2) ऐसे किसी परिसर में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति उसके रखवाले को एक विवरण देगा जिसमें ऐसी विशिष्टियां होंगी जो रखवाले द्वारा उपधारा (1) में निर्दिष्ट सूचना देने के प्रयोजन के लिए अपेक्षित हों।
(3) ऐसे प्रत्येक परिसर का रखवाला उपधारा (1) के अधीन उसके द्वारा दी गई जानकारी का और उपधारा (2) के अधीन उसके द्वारा प्राप्त की गई जानकारी का अभिलेख रखेगा और ऐसा अभिलेख ऐसी रीति से रखा जाएगा और ऐसी अवधि के लिए परिरक्षित किया जाएगा, जो विहित की जाए, और वह किसी पुलिस अधिकारी या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा निरीक्षण के लिए हर समय खुला रहेगा।
(4) यदि इस निमित्त विहित किसी क्षेत्र में विहित प्राधिकारी ऐसी रीति से प्रकाशित सूचना द्वारा, जो प्राधिकारी की राय में संबंधित व्यक्तियों को सूचना देने के लिए सर्वोत्तम रूप से अनुकूल हो, ऐसा निदेश देता है तो इस नियंत्रण के अधीन कोई आवासीय परिसर अधिभोग में रहने वाले या रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य होगा कि वह ऐसे व्यक्ति को और ऐसी रीति से ऐसे परिसर में रहने वाले विदेशियों के संबंध में ऐसी सूचना दे, जैसी विनिर्दिष्ट की जाए; और उपधारा (2) के उपबंध ऐसे किसी परिसर में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को लागू होंगे।
7-ए. विदेशियों द्वारा अक्सर देखे जाने वाले स्थानों को नियंत्रित करने की शक्ति। - (1) विहित प्राधिकारी, ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए, जो विहित की जा सकें, किसी ऐसे परिसर के स्वामी या नियंत्रण रखने वाले व्यक्ति को निर्देश दे सकेगा, जिसका उपयोग रेस्तरां या सार्वजनिक समागम या मनोरंजन के स्थान या क्लब के रूप में किया जाता है और जहां विदेशियों द्वारा अक्सर जाया जाता है -
(क) ऐसे परिसर को या तो पूरी तरह से या निर्दिष्ट अवधि के दौरान बंद करना, या
(ख) ऐसे परिसर का उपयोग केवल ऐसी शर्तों के अधीन करना या उपयोग की अनुमति देना, जो विनिर्दिष्ट की जाएं, या
(ग) ऐसे परिसर में सभी विदेशियों या किसी निर्दिष्ट विदेशी या विदेशियों के वर्ग को प्रवेश देने से इंकार करना।
(2) कोई व्यक्ति, जिसे उपधारा (1) के अधीन कोई निदेश दिया गया है, ऐसे निदेश के प्रवृत्त रहने तक, पूर्वोक्त प्रयोजनों में से किसी के लिए किसी अन्य परिसर का उपयोग नहीं करेगा या उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा, सिवाय विहित प्राधिकारी की लिखित पूर्व अनुमति के और किसी शर्त के अनुसार, जिसे वह प्राधिकारी अधिरोपित करना ठीक समझे।
(3) कोई व्यक्ति, जिसे उपधारा (1) के अधीन कोई निदेश दिया गया है और जो उससे व्यथित है, ऐसे निदेश की तारीख से तीस दिन के भीतर केन्द्रीय सरकार को अपील कर सकेगा और मामले में केन्द्रीय सरकार का विनिश्चय अंतिम होगा।
8. राष्ट्रीयता का निर्धारण। - (1) जब किसी विदेशी को एक से अधिक विदेशी देशों के कानून द्वारा राष्ट्रीय के रूप में मान्यता दी जाती है या जहां किसी कारण से यह अनिश्चित है कि किसी विदेशी को क्या राष्ट्रीयता, यदि कोई हो, दी जानी है, तो उस विदेशी को उस देश का नागरिक माना जा सकता है जिसके साथ वह विहित प्राधिकारी को हित या सहानुभूति में तत्समय सबसे अधिक निकट से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है या यदि वह राष्ट्रीयता के बारे में अनिश्चित है, तो उस देश का नागरिक माना जा सकता है जिसके साथ वह अंतिम बार इस प्रकार जुड़ा था:
परंतु जहां किसी विदेशी ने जन्म से राष्ट्रीयता अर्जित की है, वहां, सिवाय वहां जहां केन्द्रीय सरकार साधारणतया या किसी विशिष्ट मामले में ऐसा निदेश दे, वह राष्ट्रीयता तब तक बनाए रखेगा जब तक कि वह उक्त प्राधिकारी को समाधानप्रद रूप में यह साबित नहीं कर देता कि उसने बाद में देशीयकरण द्वारा या अन्यथा कोई अन्य राष्ट्रीयता अर्जित कर ली है और वह उस देश की सरकार द्वारा अभी भी संरक्षण का हकदार माना जाता है जिसकी राष्ट्रीयता उसने इस प्रकार अर्जित की है।
(2) उपधारा (1) के अधीन राष्ट्रीयता के संबंध में दिया गया निर्णय अंतिम होगा और उसे किसी न्यायालय में प्रश्नगत नहीं किया जाएगा:
बशर्ते कि केन्द्रीय सरकार स्वप्रेरणा से या संबंधित विदेशी के आवेदन पर ऐसे किसी निर्णय को संशोधित कर सकेगी।
टिप्पणियाँ
एक विवाहित महिला विवाह के बाद अपने पति का निवास स्थान प्राप्त करती है और तलाक के बाद पुनर्विवाह करके नया निवास स्थान प्राप्त करने में सक्षम होती है। (बिहार राज्य बनाम अमर सिंह, एआईआर 1955 एससी 282)।
9. साबित करने का भार।- यदि धारा 8 के अंतर्गत न आने वाले किसी मामले में इस अधिनियम या इसके अधीन किए गए किसी आदेश या दिए गए किसी निर्देश के संदर्भ में कोई प्रश्न उठता है कि कोई व्यक्ति विदेशी है या नहीं है या किसी विशिष्ट वर्ग या वर्णन का विदेशी है या नहीं है तो यह साबित करने का भार कि ऐसा व्यक्ति विदेशी नहीं है या ऐसे विशिष्ट वर्ग या वर्णन का विदेशी नहीं है, जैसा भी मामला हो, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1972 का 1) में किसी बात के होते हुए भी ऐसे व्यक्ति पर होगा।
10. अधिनियम के लागू होने से छूट देने की शक्ति - विदेशी विषयक विधि (संशोधन) अधिनियम, (1957 का 11) द्वारा निरसित।
11. आदेशों, निर्देशों आदि को प्रभावी करने की शक्ति - (1) इस अधिनियम के प्रावधानों द्वारा या उसके अधीन या उसके अनुसरण में कोई निर्देश देने या किसी अन्य शक्ति का प्रयोग करने के लिए सशक्त कोई प्राधिकरण, इस अधिनियम में स्पष्ट रूप से प्रदान की गई किसी अन्य कार्रवाई के अतिरिक्त, ऐसे कदम उठा सकता है या उठावा सकता है तथा ऐसे बल का प्रयोग कर सकता है या करवा सकता है जो उसकी राय में, ऐसे निर्देश के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए या उसके किसी उल्लंघन को रोकने या सुधारने के लिए, या ऐसी शक्ति के प्रभावी प्रयोग के लिए, जैसा भी मामला हो, उचित रूप से आवश्यक हो।
(2) कोई भी पुलिस अधिकारी ऐसे कदम उठा सकेगा तथा ऐसा बल प्रयोग कर सकेगा जो उसकी राय में अधिनियम के अधीन या उसके अनुसरण में दिए गए किसी आदेश या निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अथवा ऐसे आदेश या निर्देश के किसी उल्लंघन को रोकने या सुधारने के लिए उचित रूप से आवश्यक हो।
(3) इस धारा द्वारा प्रदत्त शक्ति, इसका प्रयोग करने वाले किसी भी व्यक्ति को किसी भी भूमि या अन्य संपत्ति तक पहुंच का अधिकार प्रदान करने वाली समझी जाएगी।
12. प्राधिकार प्रत्यायोजित करने की शक्ति। कोई प्राधिकारी, जिसे इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए किसी आदेश द्वारा कोई निदेश देने, सहमति या अनुमति देने या कोई अन्य कार्य करने की शक्ति प्रदान की गई है, जब तक कि इसके विपरीत स्पष्ट उपबंध न किया गया हो, अपने अधीनस्थ किसी प्राधिकारी को अपनी ओर से ऐसी शक्ति का प्रयोग करने के लिए लिखित रूप में सशर्त या अन्यथा प्राधिकृत कर सकेगा और तदुपरि उक्त अधीनस्थ प्राधिकारी, ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए, जो प्राधिकरण में अंतर्विष्ट हों, ऐसा प्राधिकारी समझा जाएगा, जिसे इस अधिनियम द्वारा या इसके अधीन ऐसी शक्ति प्रदान की गई है।
13. इस अधिनियम के उपबंधों का उल्लंघन करने का प्रयास आदि-- (1) कोई व्यक्ति जो इस अधिनियम के उपबंधों या इसके अधीन बनाए गए किसी आदेश या दिए गए किसी निर्देश का उल्लंघन करने का प्रयास करता है, या उल्लंघन की तैयारी के लिए कोई कार्य करता है, या ऐसे किसी आदेश के अनुसरण में दिए गए किसी निर्देश का पालन करने में विफल रहता है, उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने इस अधिनियम के उपबंधों का उल्लंघन किया है।
(2) कोई व्यक्ति, जो यह जानते हुए या यह विश्वास करने का उचित कारण रखते हुए कि किसी अन्य व्यक्ति ने इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए किसी आदेश या दिए गए किसी निर्देश के उपबंधों का उल्लंघन किया है, उस अन्य व्यक्ति को उक्त उल्लंघन के लिए उसकी गिरफ्तारी, विचारण या दंड में रोकथाम, बाधा डालने या अन्यथा हस्तक्षेप करने के आशय से कोई सहायता देता है, तो यह समझा जाएगा कि उसने उस उल्लंघन को बढ़ावा दिया है।
(3) किसी जलयान का स्वामी या किसी वायुयान का चालक, जैसा भी मामला हो, जिसके माध्यम से कोई विदेशी धारा 3 के अधीन किए गए किसी आदेश या उसके अनुसरण में दिए गए किसी निर्देश का उल्लंघन करके भारत में प्रवेश करता है या भारत से जाता है, जब तक कि वह यह साबित नहीं कर देता कि उसने उक्त उल्लंघन को रोकने के लिए सभी सम्यक् तत्परता बरती थी, इस अधिनियम का उल्लंघन किया हुआ समझा जाएगा।
14. दंड.- यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम या इसके अधीन निकाले गए किसी आदेश या इस अधिनियम या ऐसे किसी अनुसरण में दिए गए किसी निर्देश के उपबंधों का उल्लंघन करेगा, तो उसे कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने से भी दंडनीय होगा; और यदि ऐसे व्यक्ति ने धारा 3 की उपधारा (2) के खंड (च) के अनुसरण में कोई बंधपत्र तैयार किया है, तो उसका बंधपत्र जब्त कर लिया जाएगा और उससे आबद्ध कोई व्यक्ति उसके लिए दंड का भुगतान करेगा या दोषी न्यायालय को समाधानप्रद रूप में कारण बताएगा कि ऐसा दंड क्यों न दिया जाए।
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याचिकाकर्ता, एक पाकिस्तानी नागरिक, बिना किसी वैध पासपोर्ट, वीज़ा के बांग्लादेश के रास्ते अनाधिकृत रूप से भारत में प्रवेश कर गया था और उसने भारत में अपने प्रवेश और प्रवास के बारे में किसी भी अधिकारी को सूचित नहीं किया था और न ही खुद को भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत कराया था। उसने स्पष्ट रूप से विदेशी अधिनियम, 1948 की धारा 3(1) और धारा 7(2) का उल्लंघन किया है और विदेशी अधिनियम की धारा 13 और 14 के तहत अपराध किया है (मोहम्मद अनवर बनाम बिहार राज्य 1992 Cr. LJ 48)।
15. इस अधिनियम के अधीन कार्य करने वाले व्यक्तियों को संरक्षण.- इस अधिनियम के अधीन सद्भावपूर्वक की गई या किए जाने के लिए आशयित किसी बात के लिए किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही नहीं की जाएगी।
16. अन्य विधियों के लागू होने पर रोक नहीं होगी। इस अधिनियम के उपबंध विदेशियों के पंजीकरण अधिनियम, 1939 (1939 का 16), भारतीय पासपोर्ट अधिनियम, 1920 (1920 का 34) और तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य अधिनियम के उपबंधों के अतिरिक्त होंगे, न कि उनके अल्पीकरण में।
17. निरसन.—[निरसन और संशोधन अधिनियम, 1950 (1950 का 35) द्वारा निरसित] |