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नाबालिग बच्चे के पासपोर्ट से उसके जैविक पिता का नाम हटाया जा सकता है - दिल्ली हाईकोर्ट

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दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने हाल ही में एक आदेश जारी कर पासपोर्ट प्राधिकरण को एक नाबालिग बच्चे के पासपोर्ट से उसके जैविक पिता का नाम हटाने का निर्देश दिया। यह निर्णय इस तथ्य के आधार पर लिया गया कि पिता ने बच्चे के जन्म से पहले ही उसे छोड़ दिया था और सभी पैतृक अधिकारों को त्याग दिया था।

अदालत ने कहा कि कुछ परिस्थितियों में, पासपोर्ट पर जैविक पिता का नाम हटाना और बच्चे का उपनाम बदलना संभव है। पासपोर्ट मैनुअल 2020 और विदेश मंत्रालय द्वारा फरवरी 2022 में जारी एक कार्यालय ज्ञापन (ओएम) दोनों ही ऐसे परिदृश्यों को मान्यता देते हैं, जहां नाबालिग के पासपोर्ट से पिता का नाम हटाना स्वीकार्य है।

अदालत ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि ओएम केवल अविवाहित माता-पिता पर ही लागू होगा। इसने इस बात पर जोर दिया कि खंड 4.1 में "एकल अभिभावक" शब्द का इस्तेमाल बिना किसी योग्यता के किया गया है।

यह मामला एक अकेली मां और उसके नाबालिग बच्चे द्वारा दायर याचिका से संबंधित है, जिसमें बच्चे के पासपोर्ट से जैविक पिता का नाम हटाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि पिता ने उसे गर्भावस्था के दौरान छोड़ दिया था और उनके बीच हुए समझौते में कोई गुजारा भत्ता या रखरखाव का प्रावधान नहीं था। समझौते में बच्चे की एकमात्र कस्टडी भी मां को दी गई थी।

मामले की जांच करने के बाद पीठ ने कहा कि परिस्थितियां अलग-अलग हैं और इसलिए अध्याय 8 का खंड 4.5.1 और अध्याय 9 का खंड 4.1 लागू होगा। न्यायमूर्ति सिंह ने स्पष्ट किया कि इस फैसले को मिसाल नहीं माना जाना चाहिए।