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दिल्ली की एक अदालत ने जेएनयू के पूर्व नेता उमर खालिद को जमानत दे दी

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15 अप्रैल 2021

दिल्ली सत्र न्यायालय ने खजूरी खास एफआईआर (दिल्ली उत्तर-पूर्व दंगा) के सिलसिले में जेएनयू के पूर्व नेता उमर खालिद को जमानत दे दी। न्यायालय ने कहा कि "आवेदक को केवल इस तथ्य के आधार पर अनंत काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता कि दंगाई भीड़ का हिस्सा रहे अन्य व्यक्तियों की पहचान की जानी है और मामले में उन्हें गिरफ्तार किया जाना है।"

तथ्य

वर्तमान मामले में कांस्टेबल संग्राम सिंह के बयान पर एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें उन्होंने कहा कि जब वह 24.02.2020 को चांद बाग पुलिया के पास ड्यूटी पर थे, तो सड़क पर बड़ी भीड़ जमा हो गई और पथराव शुरू कर दिया। इसके बाद खालिद पर आईपीसी की धारा 109, 114, 147, 148, 149, 153-ए, 186, 212, 353, 395, 427, 435, 436, 452/, 454, 505, 34 और 120-बी के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धारा 3 और 4 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 और 27 के तहत मामला दर्ज किया गया।

तर्क

आवेदक के वरिष्ठ वकील ने कहा कि आवेदक को जांच एजेंसी द्वारा “ असहमति को दबाने के लिए राजनीतिक प्रतिशोध” के कारण मामले में झूठा फंसाया गया है। कथित घटना की तारीख पर आवेदक शारीरिक रूप से अपराध स्थल (एसओसी) पर मौजूद नहीं था, और यही कारण है कि वह न तो किसी सीसीटीवी फुटेज/वायरल वीडियो में दिखाई दे रहा है, न ही किसी गवाह ने उसे दंगाई भीड़ का हिस्सा/सदस्य बताया है। आगे यह तर्क दिया गया कि आवेदक के खिलाफ आपराधिक साजिश का कोई अन्य स्वतंत्र या कानूनी रूप से स्वीकार्य सबूत उपलब्ध नहीं है।

लेखक: पपीहा घोषाल

पीसी- स्क्रॉल इंडिया