बातम्या
सभी आरोपों से बरी हुए व्यक्ति को अदालती आदेशों से अपना नाम हटाने का अधिकार है - मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि जो व्यक्ति सभी आरोपों से बरी हो गया है, वह अपनी गोपनीयता की रक्षा के लिए अदालती आदेशों से अपना नाम हटाने का हकदार है।
याचिकाकर्ता ने आईपीसी की धारा 417 (धोखाधड़ी) और 376 (बलात्कार) के तहत अपराधों से बरी होने के बाद अदालत के आदेश से अपना नाम हटाने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि कानून की नज़र में अब उसे आरोपी के रूप में पहचाना नहीं जा सकता। न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने उनके मामले में प्रथम दृष्टया योग्यता पाई और उन्हें निर्णय से अपना नाम हटाने का अधिकार है। न्यायालय ने इसी मुद्दे के बारे में बार के सदस्यों जैसे संबंधित अधिकारियों से भी प्रतिक्रिया मांगी।
न्यायालय ने आगे कहा कि मौजूदा कानून के तहत केवल पीड़ित (महिलाएं और बच्चे) को ही गोपनीय रखा जाता है, इसलिए उनके नाम फैसलों में नहीं दर्शाए जाते। हालांकि, इस तरह की सुरक्षा उन लोगों को उपलब्ध नहीं है जो अपने आरोपों से बरी हो गए हैं।
न्यायालय ने इसी तरह की परिस्थितियों में हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले पर भरोसा जताया । "यह सूचित किया जाता है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अधिकारों की सूची में भूल जाने के अधिकार नामक एक नए अधिकार को शामिल करने की मांग की गई है।"
माननीय उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि आज की पीढ़ी में, पहली धारणा अक्सर गूगल पर मिलने वाली जानकारी से बनती है, भले ही वह प्रामाणिक न हो। दी गई जानकारी के आधार पर ही किसी व्यक्ति के चरित्र का आकलन किया जाता है।
मामले की सुनवाई 28 जुलाई 2021 को होगी
लेखक: पपीहा घोषाल