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न्यायाधिकरण सीओसी द्वारा प्रस्ताव के अनुमोदन के बाद प्रस्ताव आवेदक से नई बोलियों के आमंत्रण का निर्देश नहीं दे सकता है।
23 अप्रैल 2021
चेन्नई स्थित एनसीएलएटी पीठ ने फैसला सुनाया है कि ऋणदाताओं की समिति द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद न्यायाधिकरण समाधान आवेदक से नई बोलियां आमंत्रित करने का निर्देश नहीं दे सकता।
'अपीलकर्ता'/सफल समाधान आवेदक ने न्यायनिर्णयन प्राधिकरण (एनसीएलटी, हैदराबाद बेंच) द्वारा पारित आदेश से असंतुष्ट होकर वर्तमान 'अपील' दायर की है। एनसीएलटी ने माना कि समाधान राशि में और सुधार की गुंजाइश है, इसलिए तदनुसार सीओसी को नई बोलियाँ लेने और विचार के लिए एक नई समाधान योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
अपीलकर्ता की दलीलें
अपीलकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि एक 'न्यायिक प्राधिकरण सीओसी के 'व्यावसायिक ज्ञान' का अतिक्रमण नहीं कर सकता। श्रवण कुमार अग्रवाल कंसोर्टियम और अन्य बनाम ऋतुराज स्टील प्राइवेट लिमिटेड के फैसले का हवाला देते हुए जिसमें एक सवाल उठा था 'क्या न्यायिक प्राधिकरण ने 84.70% वोट शेयर के साथ सीओसी द्वारा समाधान योजना को मंजूरी देने के बावजूद, दोबारा बोली लगाने के आदेश पारित करने में अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है। यह माना गया कि सीओसी द्वारा समाधान योजना को मंजूरी देने के बावजूद दोबारा बोली लगाने का निर्देश कानून में वैध नहीं था। अपीलकर्ता की शिकायत यह है कि इसकी योजना को 100% भारी मतों से मंजूरी दी गई थी, और 'न्यायिक प्राधिकरण' द्वारा इसकी योजना को अस्वीकार करने का कोई व्यावसायिक कारण नहीं था।
फ़ैसला
पीठ ने कहा कि 'न्यायिक प्राधिकरण' (एनसीएलटी हैदराबाद) को 'केएएलएस ग्रुप' के पक्ष में 100% मतदान के साथ 'लेनदारों की समिति' द्वारा अनुमोदित 'समाधान योजना' को मंजूरी देनी है।
लेखक: पपीहा घोषा
पीसी - सेंट्रिक