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गोवा में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सनातन संस्था द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें फेसबुक द्वारा उसके पेज ब्लॉक करने की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी।

Feature Image for the blog - गोवा में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सनातन संस्था द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें फेसबुक द्वारा उसके पेज ब्लॉक करने की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी।

गोवा स्थित बॉम्बे उच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट सनातन संस्था द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें संस्था द्वारा बनाए गए पेजों को ब्लॉक करने की फेसबुक की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी।

न्यायालय ने फैसला सुनाया कि याचिकाकर्ता और प्रतिवादी के बीच पृष्ठों को ब्लॉक करना और अनब्लॉक करना विशुद्ध रूप से एक संविदात्मक विवाद है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह पक्षों के बीच संविदात्मक संबंधों द्वारा शासित है, और इसलिए इस कार्यवाही को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत न्यायोचित नहीं किया जा सकता है।

संस्था ने अपनी याचिका में दलील दी कि उन्होंने जागरूकता और आध्यात्मिकता फैलाने के लिए कई साल पहले ये पेज बनाए थे। संस्था ने केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की कि फेसबुक संस्था के ब्लॉक किए गए पेजों को अनब्लॉक करे। इसके अलावा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के लिए MEITY की स्थापना की जाए और फेसबुक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

न्यायमूर्ति एम एस सोनक और न्यायमूर्ति एम एस जावलकर की पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 226 के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और फेसबुक को निर्देश देने की मांग स्वीकार्य नहीं है, इसलिए अनुबंध के किसी भी उल्लंघन के मामले में उचित मंच से संपर्क किया जाना चाहिए।


लेखक: पपीहा घोषाल