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कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा राज्य में इंटरनेट बंद करने के संबंध में पारित आदेश पर रोक लगा दी

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कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने 7 मार्च से 16 मार्च के बीच पश्चिम बंगाल के 7 जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद करने के कलकत्ता सरकार के आदेश पर रोक लगा दी।

राज्य सरकार ने आगामी राज्य बोर्ड परीक्षाओं में सामूहिक धोखाधड़ी को रोकने के लिए यह निर्णय लिया था। इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ऑफ इंडिया (IFFI) के अश्लेष बिरादर ने इसे चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि अधिसूचना अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ में SC के फैसले के खिलाफ है, और अनुच्छेद 19(1)(g) [किसी भी पेशे को अपनाने या कोई व्यवसाय, व्यापार या व्यवसाय करने की स्वतंत्रता] के तहत मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है। इसके अलावा, इस तरह का प्रतिबंध बच्चों के शिक्षा के अधिकार के खिलाफ है।

महाधिवक्ता एस.एन. मुखर्जी ने प्रस्तुत किया कि यह आदेश न केवल सीआरपीसी की धारा 144 के तहत पारित किया गया था, बल्कि दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन नियम, 2017 के नियम 2(1) के तहत भी पारित किया गया था।

अटॉर्नी जनरल ने आगे कहा कि समीक्षा समिति की बैठक गुरुवार को निर्धारित की गई है और उन्होंने याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।

पीठ ने मामले को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया और आदेश पर रोक लगाने का निर्देश दिया।