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दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगा मामले में आसिफ इकबाल तन्हा, नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को जमानत दी
दिल्ली हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में आसिफ इकबाल तन्हा, नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को जमानत दे दी है। जमानत के लिए 50,000 रुपये का बॉन्ड और दो स्थानीय जमानतदारों की जरूरत होगी। कोर्ट ने तीनों को निर्देश दिया है कि वे अपना पासपोर्ट जमा करें और ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल न हों जिससे उनके मामले में बाधा उत्पन्न हो।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जे. भंभानी ने नताशा नरवाल को जमानत देते हुए कहा कि "हम यह कहने के लिए विवश हैं कि ऐसा लगता है कि असहमति को दबाने की अपनी चिंता में, राज्य के मन में, विरोध करने के संवैधानिक रूप से गारंटीकृत अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच की सीमा कुछ हद तक धुंधली होती जा रही है। अगर यह मानसिकता जोर पकड़ती है, तो यह लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन होगा।
बेंच ने नताशा नरवाल को ज़मानत देते हुए कहा कि "प्रथम दृष्टया हम उन तत्वों का पता लगाने में असमर्थ हैं जो यूएपीए की धारा 15, 17 और 18 के तहत किसी भी अपराध में पाए जाने चाहिए।" 'चक्का जाम, महिलाओं को विरोध प्रदर्शन के लिए उकसाने और इसी तरह के अन्य आरोप,
हमारे विचार में, ये सभी सबूत केवल यह दिखाने के लिए हैं कि अपीलकर्ता ने विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था, लेकिन हमें कहीं भी ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे पता चले कि अपीलकर्ता ने हिंसा या कोई आतंकवादी कृत्य भड़काया था।"
पीठ ने तीन अलग-अलग आदेशों में तीनों को जमानत दे दी। न्यायालय ने कहा कि विरोध करने का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है और इसे "आतंकवादी कृत्य" नहीं कहा जा सकता।
लेखक: पपीहा घोषाल