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दिल्ली उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग की सूक्ष्म निगरानी से इंकार किया, संवैधानिक स्थिति पर प्रकाश डाला
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को एक संवैधानिक निकाय मानते हुए उस पर सूक्ष्म नियंत्रण करने में अपनी असमर्थता जताई। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने यह टिप्पणी लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कथित सांप्रदायिक भाषणों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली याचिका के जवाब में की।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता निज़ाम पाशा ने नफरत फैलाने वाले भाषण देने वाले व्यक्ति की पहचान की परवाह किए बिना चुनाव आयोग द्वारा एक समान कार्रवाई की मांग की। हालांकि, चुनाव आयोग की ओर से पेश अधिवक्ता सुरुचि सूरी ने अदालत को बताया कि आयोग ने प्राप्त शिकायतों पर नोटिस जारी किए हैं और सत्तारूढ़ पार्टी से 15 मई तक जवाब की उम्मीद है, जिसके बाद कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।
न्यायालय ने सोमवार, 13 मई को अगली सुनवाई निर्धारित की तथा पाशा से विचारार्थ प्रासंगिक सामग्री प्रस्तुत करने का अनुरोध किया।
शाहीन अब्दुल्ला, अमिताभ पांडे और देब मुखर्जी द्वारा दायर याचिका में प्रधानमंत्री मोदी के बांसवाड़ा, राजस्थान और सागर, मध्य प्रदेश में दिए गए भाषणों का हवाला दिया गया है, जहाँ उन्होंने कथित तौर पर कुछ समुदायों को निशाना बनाते हुए विभाजनकारी टिप्पणी की थी। इसने कई शिकायतों के बावजूद निष्क्रियता के लिए ईसीआई की आलोचना की।
याचिका में तर्क दिया गया है कि नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ कार्रवाई करने में ईसीआई की विफलता उसके संवैधानिक कर्तव्य का उल्लंघन करती है और आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के उद्देश्य को कमजोर करती है, जिसका उद्देश्य चुनावों के दौरान सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना है। इसने ईसीआई द्वारा की गई चूकों और कमियों को संवैधानिक लेखों का उल्लंघन और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों में बाधा बताया।
इसके अलावा, याचिका में चुनाव आयोग की कार्रवाइयों में असमानता को उजागर किया गया है, जिसमें कहा गया है कि एक जैसे अपराधों के लिए कई नेताओं को नोटिस जारी किए गए, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसमें भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर सहित सभी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई, जिन पर चुनाव प्रचार के दौरान सांप्रदायिक भाषण देने का आरोप है।
लेखक: अनुष्का तरानिया
समाचार लेखक, एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी