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लोकतंत्र और चुनाव संविधान की मूल संरचना हैं - सुप्रीम कोर्ट

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"बूथ कैप्चरिंग और/या फर्जी मतदान के किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटा जाना चाहिए क्योंकि यह अंततः लोकतंत्र के शासन को प्रभावित करता है। किसी को भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के अधिकार को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।" सुप्रीम कोर्ट ने 1989 के लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव बूथों पर कब्जा करने के प्रयास के लिए दोषी ठहराए गए 8 लोगों की अपील को खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं।


भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता राजीव रंजन तिवारी ने एफआईआर दर्ज कराई है। वह आम चुनाव की पूर्व संध्या पर मतदाताओं को पर्चियां बांट रहे थे। दूसरे गांव के आरोपी लाठी-डंडे, देसी पिस्तौल लेकर आए और उनसे मतदाता पर्चियां बांटना बंद करने और उनके पास मौजूद मतदाता सूची सौंपने को कहा। उनके मना करने पर आरोपियों ने उनके साथ मारपीट शुरू कर दी।
ट्रायल कोर्ट ने 8 आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 32 और 147 के तहत दोषी ठहराया था। हाईकोर्ट ने 2018 में इसे बरकरार रखा, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वर्तमान अपील की गई है।


जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच ने पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2013) में की गई टिप्पणियों का हवाला दिया , "कि फर्जी मतदान लोकतंत्र की बुनियादी विशेषता को कमजोर करता है और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के संचालन में बाधा डालता है" । बेंच ने आगे कहा कि मतदान की गोपनीयता आवश्यक है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि मतदाता बिना किसी डर के अपना वोट डाल सकें। लोकतंत्र और चुनाव संविधान की मूल संरचना हैं।

अंततः न्यायालय ने अभियुक्त को शेष सजा काटने का निर्देश देते हुए अपील खारिज कर दी।

लेखक: पपीहा घोषाल