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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का पूर्ण अधिकार नहीं है - इलाहाबाद हाईकोर्ट

7 अप्रैल 2021
धर्मनिरपेक्ष राज्य में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार साथी नागरिकों की धार्मिक भावनाओं, आस्थाओं और विश्वासों को चोट पहुंचाने का पूर्ण लाइसेंस नहीं है - इलाहाबाद हाईकोर्ट।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कार्यकर्ता मोहम्मद नईम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। नईम पर आरोप है कि वह अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास समारोह के बारे में दुष्प्रचार करके हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दे रहा है और हर मुसलमान को इस स्थल की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, शिकायतकर्ता बहरौली, खार्तूआ गया, जहाँ उसे बताया गया कि आवेदक/आरोपी ने भड़काऊ बयान दिए हैं। इसके बाद, नदीम पर आईपीसी की धारा 153 के तहत मामला दर्ज किया गया। शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि आवेदक न केवल पीएफआई का सदस्य है, बल्कि राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल एक पदाधिकारी भी है।
पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने कहा कि आवेदक द्वारा की गई टिप्पणी एक समुदाय को दूसरे समुदाय के खिलाफ भड़काने वाली है। इसलिए मामले के तथ्यों के आधार पर धारा 153ए आईपीसी के तहत दंडनीय अपराध बनता है।
लेखक: पपीहा घोषाल
फोटो: सुशांत ट्रैवल्स