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हाथरस मामले में केवल एक दोषी को आजीवन कारावास की सजा

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उत्तर प्रदेश की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को हाथरस मामले में एकमात्र दोषी संदीप को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। इस मामले में 19 वर्षीय दलित लड़की की हत्या की गई थी। सज़ा के साथ ही अदालत ने संदीप पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।

इससे पहले आज कोर्ट ने मामले के तीन अन्य आरोपियों रामू, लवकुश और रवि को बरी कर दिया। हालांकि, संदीप को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत अपराध का दोषी पाया गया।

14 सितंबर, 2020 को उत्तर प्रदेश के हाथरस में सामूहिक बलात्कार और हत्या की कोशिश की घटना हुई, जिसके बाद पीड़िता को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। दुखद बात यह है कि 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उसकी मौत हो गई।

पीड़िता के परिवार को कथित तौर पर उसके अंतिम संस्कार के अधिकार से वंचित कर दिया गया, जब उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन ने उसकी अस्थियों को उसके पैतृक स्थान पर लाए जाने के बाद, रात के अंधेरे में उनकी सहमति या उपस्थिति के बिना जबरन उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया।

1 अक्टूबर, 2020 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पीड़िता के कथित जबरन दाह संस्कार और सामूहिक बलात्कार की जांच का जिम्मा अपने हाथ में ले लिया। न्यायालय ने कहा कि दाह संस्कार से पहले की घटनाओं ने उसकी अंतरात्मा को झकझोर दिया था।

10 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया। इसके बाद सीबीआई ने दिसंबर 2020 में सभी चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

उस दौरान सुप्रीम कोर्ट में कई जनहित याचिकाएं दायर की गईं। इनमें से अधिकतर में स्वतंत्र और निगरानी वाली जांच के साथ-साथ गवाहों की सुरक्षा और अन्य उपायों की मांग की गई थी।