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पटना हाईकोर्ट - मानसिक स्वास्थ्य राज्य की सबसे कम चिंता का विषय है

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पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि मानसिक स्वास्थ्य राज्य सरकार की सबसे कम प्राथमिकता है। "ऐसा प्रतीत होता है कि कोविड-19 के समय में किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य राज्य सरकार की सबसे कम प्राथमिकता है।"

न्यायालय मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के अनुसार एक कार्यात्मक राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की स्थापना की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में मानसिक स्वास्थ्य और कोविड-19, चिंता और अवसाद के बारे में जानकारी प्रदान करके जागरूकता फैलाने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी।

राज्य ने प्रस्तुत किया कि अभी तक कोई प्राधिकरण गठित नहीं किया गया है और 2020 में केवल समाचार पत्रों में एक विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। समाचार पत्र में विज्ञापनों के अनुसरण में प्राप्त आवेदन विचाराधीन थे।

न्यायालय ने राज्य के प्रति निराशा व्यक्त की और कहा कि राज्य द्वारा दिए गए तर्क अस्पष्ट थे। "वह चरण क्या है? इसे पूरा होने में कितना समय लगेगा? चयन प्रक्रिया में कौन-कौन लोग शामिल हैं?" इस बात पर जोर दिया गया कि महामारी के बावजूद राज्य के सभी विभाग चालू हो गए हैं।

न्यायालय ने बिहार के मुख्य सचिव को प्राधिकरण की स्थापना सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने तथा 25 फरवरी से पहले अनुपालन का हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।

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