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पुलिस की छवि सुरक्षित होनी चाहिए - इलाहाबाद हाईकोर्ट

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि पुलिस की छवि सुरक्षित होनी चाहिए और अनुच्छेद 25 के तहत पुलिसकर्मियों को दाढ़ी रखने का कोई पूर्ण अधिकार नहीं है। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारी मोहम्मद फरमान की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया, जिसमें दाढ़ी रखने के मौलिक अधिकार का दावा किया गया था।

याचिकाकर्ता ने दो याचिकाएँ दायर कीं। सबसे पहले उन्होंने अक्टूबर 2020 में पुलिस महानिदेशक, यूपी द्वारा जारी किए गए परिपत्र को चुनौती दी, जिसमें बल के सदस्य के लिए उचित वर्दी और उपस्थिति के लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए गए थे। उनकी दूसरी याचिका उनके खिलाफ जारी निलंबन आदेश के बारे में थी, जिसमें अनुशासित बल का सदस्य होने के बावजूद दाढ़ी रखने के लिए विभागीय जाँच शुरू की गई थी। उन्होंने अयोध्या के जिला पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण क्षेत्र) द्वारा उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र को भी चुनौती दी।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि अक्टूबर 2020 का सर्कुलर संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है। यह अनुच्छेद धर्म को मानने और उसका पालन करने की स्वतंत्रता से संबंधित है। उन्होंने आगे तर्क दिया कि फरमान द्वारा दाढ़ी कटवाने से इनकार करना कदाचार नहीं है, और इसलिए कोई चार्जशीट दायर नहीं की जानी चाहिए थी। हालांकि, अदालत ने कहा कि शारीरिक उपस्थिति एक अनुशासित सदस्य की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक है। फरमान के कार्यों ने उच्च अधिकारियों द्वारा जारी आदेशों का उल्लंघन किया और एक कदाचार के बराबर है।

न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने तीन महीने के भीतर विभागीय जांच के निर्देश दिए।


लेखक: पपीहा घोषाल