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रिस जुडिकाटा का सिद्धांत विदेशी न्यायाधिकरण के समक्ष कार्यवाही में भी लागू होगा - गुवाहाटी हाईकोर्ट

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गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि विदेशी न्यायाधिकरण के समक्ष कार्यवाही में भी रेस जुडिकाटा का सिद्धांत लागू होगा। और परिणामस्वरूप, ऐसे न्यायाधिकरण एक ही व्यक्ति की कार्यवाही को दूसरी बार नहीं सुन सकते। रेस जुडिकाटा एक सिद्धांत है जो यह प्रावधान करता है कि एक ही विवाद - एक ही पक्ष पर एक बार निर्णय हो जाने के बाद दोबारा निर्णय नहीं लिया जा सकता।

न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह और न्यायमूर्ति मालाश्री नंदी की पीठ ने अब्दुल कुद्दुस बनाम भारत संघ मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया, जिसमें यह तय किया गया था कि रिस जुडिकाटा का सिद्धांत विदेशी न्यायाधिकरणों पर भी लागू होगा।

इसी के मद्देनजर, उच्च न्यायालय की पीठ ने हसीना भानु के खिलाफ 18 मार्च, 2021 को न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया, जिन्हें विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित किया गया था, जो उसी न्यायाधिकरण द्वारा 2016 में पारित एक पूर्व आदेश के विपरीत था, जिसमें कहा गया था कि वह विदेशी या अवैध प्रवासी नहीं थीं।

भानु के खिलाफ पहली बार 2016 में न्यायाधिकरण में मामला दर्ज किया गया था, जहां फैसला उनके पक्ष में आया था। इसके बाद 2018 में उसी न्यायाधिकरण ने उन्हें विदेशी घोषित कर दिया।

उन्होंने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और तर्क दिया कि यह न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है।

न्यायालय ने कहा कि "अब्दुल कुद्दुस मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के मद्देनजर, हम यह समझने में असमर्थ हैं कि न्यायाधिकरण ने मामले की जांच कैसे की और उपरोक्त निर्णय कैसे दिया।" इस प्रकार, न्यायालय ने आदेश दिया कि यदि याचिकाकर्ता हिरासत में है तो उसे रिहा किया जाए।


लेखक: पपीहा घोषाल

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