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सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी शोध में सहायता के लिए केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य पर एक वेबपेज लॉन्च किया

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24 अप्रैल, 1973 को दिए गए केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के फैसले की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक वेबपेज लॉन्च किया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस वेबपेज का उद्देश्य कानूनी शोध में सहायता करना है और इसे वैश्विक स्तर पर एक्सेस किया जा सकता है।

केशवानंद भारती मामले की सुनवाई 13 न्यायाधीशों की पीठ द्वारा की गई, जो इसे भारतीय कानूनी इतिहास की सबसे बड़ी पीठ बनाती है।

पीठ ने एक ऐसे मामले की स्थापना की और उस पर विचार किया, जिसमें संविधान में बदलाव करने के संसद के अधिकार के बारे में महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रश्न उठाए गए थे। दलीलें सुनने और अंतिम निर्णय पर पहुंचने में छह महीने लग गए। इस फैसले ने संविधान के मौलिक ढांचे के सिद्धांत को स्थापित किया, जो यह सुनिश्चित करता है कि संविधान की विशिष्ट मौलिक विशेषताएं, जैसे लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद और कानून का शासन, संसद द्वारा परिवर्तन के अधीन नहीं हैं।

न्यायालय ने यह भी माना कि न्यायिक समीक्षा की शक्ति संविधान के मूल ढांचे का एक अनिवार्य पहलू है, जिसे संसद द्वारा संविधान संशोधन के माध्यम से रद्द नहीं किया जा सकता।

नए लॉन्च किए गए वेबपेज पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में फैसले की प्रतियां उपलब्ध हैं, साथ ही सभी तेरह जजों की व्यक्तिगत राय भी उपलब्ध है। इसमें याचिकाकर्ता, प्रतिवादियों और हस्तक्षेपकर्ताओं की लिखित दलीलें और प्रस्तुतियाँ भी शामिल हैं।