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कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना कि शादी का वादा तोड़ना आईपीसी के तहत धोखाधड़ी नहीं है

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कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के नटराजन ने एक व्यक्ति और उसके परिवार के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए कहा कि शादी का वादा तोड़ना भारतीय दंड संहिता की धारा 417 और 420 के तहत धोखाधड़ी का अपराध नहीं है।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि वह आठ साल पहले उस व्यक्ति से मिली थी। वे प्यार में पड़ गए और वह व्यक्ति उससे शादी करने के लिए तैयार हो गया। हालाँकि, चूँकि उसका परिवार चाहता था कि वह किसी दूसरी महिला से शादी करे, इसलिए उसने शिकायतकर्ता को छोड़ दिया और दूसरी महिला से शादी कर ली। और इस प्रकार, धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी), 506 (आपराधिक धमकी) और धारा 34 (सामान्य इरादे) के तहत वर्तमान शिकायत दर्ज की गई।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि शादी करने का वादा करने मात्र से धोखाधड़ी की धारा के तहत कोई अपराधी नहीं बनता। इसके अलावा, मामला दर्ज होने के बाद कोई जांच नहीं हुई और मामला केवल व्यक्ति को परेशान करने के लिए दर्ज किया गया था।

न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के केयू प्रभुराज बनाम राज्य पुलिस उपनिरीक्षक एडब्ल्यूपीएस तांबरम एवं अन्य मामले में दिए गए निर्णय तथा शीर्ष न्यायालय के एसडब्ल्यू पलानीटकर एवं अन्य बनाम बिहार राज्य एवं अन्य मामले में दिए गए निर्णय का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि अनुबंध का उल्लंघन तब तक धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता जब तक कि कोई बेईमान इरादा न हो। इसी के मद्देनजर न्यायालय ने एफआईआर को रद्द कर दिया।


लेखक: पपीहा घोषाल