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मद्रास उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह दुकानदारों द्वारा पुलिस को दी जाने वाली रिश्वत लेने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करे।

मामला: के. कुमारदास बनाम सरकार के प्रधान सचिव
न्यायालय: मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस.एम. सुब्रमण्यम
मद्रास उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि वे पुलिस अधिकारियों द्वारा मामूल (दुकानदारों द्वारा पुलिस को दी जाने वाली रिश्वत) लेने की प्रथा को समाप्त करने के लिए पर्याप्त कदम उठाएँ। उच्च न्यायालय ने ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने का आदेश दिया।
उच्च न्यायालय का मानना था कि अपराध या तो अनदेखा कर दिए गए या फिर उन्हें होने दिया गया क्योंकि पुलिस में अपराधियों को नियंत्रित करने का नैतिक साहस नहीं था क्योंकि वे किसी न किसी तरह से मामूल स्वीकार कर रहे थे। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि उच्च अधिकारियों को इन अपराधों के बारे में पता है, फिर भी ऐसे अपराधों को कम करने के लिए बहुत कम प्रयास किए गए।
पृष्ठभूमि
हाईकोर्ट एक सेवानिवृत्त विशेष उपनिरीक्षक द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रहा था, जिसमें अपीलीय अधिकारियों द्वारा सजा की पुष्टि के आदेश को चुनौती दी गई थी। अपने सेवाकाल के दौरान, याचिकाकर्ता को एक बंक शॉप से सप्ताह में दो बार ₹50 का मामूल प्राप्त करते हुए पाया गया था। याचिकाकर्ता को तीन वर्षों के लिए तीन चरणों में वेतन के समयमान में कटौती का सामना करना पड़ा। उन्होंने तर्क दिया कि उनके पास सेवा का एक बेदाग रिकॉर्ड है और उनके खिलाफ आरोप एक झूठी शिकायत पर थे। इसके अतिरिक्त, सजा उनकी सेवानिवृत्ति के अंत के दौरान दी गई थी, और इसलिए, इसे लागू नहीं किया जा सका।
प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि यह दंड उस समय लगाया गया था जब याचिकाकर्ता सेवा में था, इसलिए इसे लागू किया गया।
आयोजित
न्यायालय ने पाया कि विस्तृत जांच में पाया गया कि सेवानिवृत्त अधिकारी ने भ्रष्टाचार किया था, इसलिए सजा को अनुपातहीन नहीं कहा जा सकता। वास्तव में, उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की कि दी गई सजा की प्रकृति दर्शाती है कि पुलिस विभाग ने भ्रष्टाचार के आरोपों को गंभीरता से नहीं लिया था।
- The Madras HC directed the State government to register criminal cases against police officers taking mamool (bribes paid by shop vendors to police)
- मद्रास उच्च न्यायालयाने राज्य सरकारला मामूल (दुकान विक्रेत्यांनी पोलिसांना दिलेली लाच) घेणाऱ्या पोलिस अधिकाऱ्यांवर फौजदारी गुन्हे नोंदवण्याचे निर्देश दिले.