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जमानत के लिए आवेदन करने का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 में निहित एक व्यक्तिगत अधिकार है - सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत के लिए आवेदन करने का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 में निहित एक व्यक्तिगत अधिकार है। शीर्ष अदालत ने राजस्थान उच्च न्यायालय के उन व्यापक आदेशों को अस्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की, जिसके तहत उच्च न्यायालय ने लॉकडाउन के दौरान जमानत आवेदनों और सजा के निलंबन को अत्यावश्यक मामलों के रूप में सूचीबद्ध नहीं करने का आदेश दिया था।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस तरह के कठोर प्रतिबंध मौलिक अधिकारों को निलंबित करते हैं तथा जमानत के लिए आवेदन करने की स्वतंत्रता को अवरुद्ध करते हैं।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान अग्रिम जमानत के मामले की सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि किसी आरोपी को जमानत मांगने का अधिकार 1973 की दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 439, 438 और 389 में मान्यता प्राप्त है। "एचसी द्वारा जारी किए गए निर्देश किसी व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने की क्षमता रखते हैं, जिस पर आपराधिक गतिविधि में आरोप लगाया जा सकता है और जांच अधिकारियों की शक्ति पर भी बंधन लगा सकते हैं।"


लेखक: पपीहा घोषाल