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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को पदोन्नति में विकलांग व्यक्तियों के आरक्षण के लिए निर्देश जारी करने का निर्देश दिया

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सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह दिव्यांगजनों को पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए विकलांगता अधिनियम, 2016 के अनुसार यथाशीघ्र, बल्कि चार महीने से अधिक समय में निर्देश जारी करे।

जस्टिस एल नागेश्वर राव, बी.आर.जी.वई और संजीव खन्ना की पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा दायर विविध आवेदन पर यह आदेश जारी किया, जिसमें सिद्धाराजू बनाम कर्नाटक राज्य के फैसले की व्याख्या की मांग की गई थी कि विकलांग व्यक्ति को पदोन्नति में आरक्षण का अधिकार होगा। इस पर, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि फैसले में कोई अस्पष्टता नहीं है और इसलिए निर्देश जारी किए।

कुछ प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता राजन मणि ने तर्क दिया कि अधिनियम को लागू हुए 5 साल हो चुके हैं, लेकिन अधिनियम की धारा 34 के लिए कोई प्रावधान जारी नहीं किया गया है। वर्तमान याचिका निर्णय में देरी और उसे कमजोर करने का एक और प्रयास है।

दलीलों पर विचार करते हुए जस्टिस नागेश्वर राव ने एएसजी से पूछा कि क्या केंद्र ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 34 के तहत आरक्षण के लिए कोई निर्देश जारी किया है? इस पर एएसजी माधवी दीवान ने जवाब दिया कि केंद्र ने कुछ आवश्यक स्पष्टीकरणों के कारण कोई निर्देश जारी नहीं किया है।

पीठ ने एमआईएस आवेदन का निपटारा कर दिया, क्योंकि आवेदक आवेदन में योग्यता दिखाने में असफल रहे, इसलिए यूओआई को आदेश की तारीख से 4 महीने के भीतर निर्देश जारी करने का निर्देश दिया।


लेखक: पपीहा घोषाल

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