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वैवाहिक स्थिति के आधार पर महिलाओं को नौकरी देने से इनकार नहीं किया जा सकता: राजस्थान उच्च न्यायालय

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राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि वैवाहिक स्थिति को सरकारी नौकरी के लिए पात्रता मानदंड के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद के लिए आवेदन करने वाली अविवाहित महिला को नौकरी देने से इनकार करने की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह "तर्कहीन, भेदभावपूर्ण और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।"

यह विवाद महिला एवं बाल विकास विभाग के एक विज्ञापन से उत्पन्न हुआ, जिसमें पद के लिए आवेदकों का विवाहित महिला होना अनिवार्य था। न्यायमूर्ति दिनेश मेहता ने अपने फैसले में इस शर्त को "अवैध, मनमाना और भारतीय संविधान की उस योजना के विरुद्ध बताया, जो समानता की गारंटी देती है।"

न्यायालय ने सरकार को याचिकाकर्ता मधु चरण के आवेदन पर 4 सितंबर से चार सप्ताह के भीतर नियमों के अनुसार कार्यवाही करने का आदेश दिया है। यह निर्णय लिंग आधारित भेदभाव को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मदु चरण को शुरू में मौखिक रूप से बताया गया था कि जब उन्होंने गुड़ी, बालोतरा में आंगनवाड़ी केंद्र के लिए अपना आवेदन प्रस्तुत किया था, तो वे इस पद के लिए अयोग्य थीं। इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और तर्क दिया कि पात्रता मानदंड "बिल्कुल तर्कहीन, भेदभावपूर्ण और अविवाहित उम्मीदवारों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला" था।

जवाब में सरकार ने तर्क दिया कि यदि कोई आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या सहायिका विवाह कर लेती है और स्थानांतरित हो जाती है, तो इससे केंद्र का संचालन बाधित होगा।

हालांकि, अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि इससे भेदभाव का एक नया रास्ता खुल गया है। अदालत के आदेश में कहा गया है कि वैवाहिक स्थिति के आधार पर नौकरी से इनकार करना "तर्कसंगतता और विवेक की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है, और केवल यह तथ्य कि उम्मीदवार अविवाहित है, उसे अयोग्य ठहराने का कारण नहीं हो सकता।"

अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस तरह की प्रथा न केवल संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, बल्कि महिलाओं की गरिमा पर भी आघात करती है।

राजस्थान उच्च न्यायालय का यह निर्णय लैंगिक समानता को कायम रखने और रोजगार में भेदभावपूर्ण प्रथाओं को चुनौती देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

लेखक: अनुष्का तरानिया

समाचार लेखक, एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी