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शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालयों को धारा 11 (6) और 11 (5) के तहत मध्यस्थता मामलों को दाखिल होने की तारीख से 6 महीने के भीतर निपटाने का निर्देश दिया
मामला: श्री विष्णु कंस्ट्रक्शन बनाम इंजीनियर इन चीफ, मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस और अन्य
बेंच: जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागरत्ना
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया है कि वे मध्यस्थों की नियुक्ति और प्रतिस्थापन के लिए एक साल से अधिक समय से लंबित सभी आवेदनों का अगले छह महीने के भीतर निपटारा करें। अगर जल्द से जल्द मध्यस्थों की नियुक्ति नहीं की गई तो इससे मध्यस्थता अधिनियम का उद्देश्य विफल हो जाएगा और अंततः देश में व्यापार प्रभावित हो सकता है।
21 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने सभी उच्च न्यायालयों से मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 11(6) और 11(5) (मध्यस्थ की नियुक्ति) के तहत संबंधित उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित आवेदनों के संबंध में विवरण प्रस्तुत करने को कहा था।
जांच के बाद न्यायालय ने पाया कि मध्यस्थों की नियुक्ति के लिए आवेदन पिछले चार-पांच वर्षों से लंबित हैं। पीठ ने आगे कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय में कई आवेदन दोषपूर्ण पाए गए और ये अप्रभावी आवेदन 2016 से लंबित हैं।
इसलिए, सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ऐसे आवेदनों का निपटारा दाखिल होने की तारीख से छह महीने के भीतर किया जाना चाहिए। संबंधित उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरलों को भी छह महीने के बाद अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया।