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रात डेढ़ बजे मुंबई की सड़कों पर घूमना कोई अपराध नहीं - मुंबई कोर्ट
मामला: महाराष्ट्र राज्य बनाम सुमितकुमार बसंतराम कश्यप
कोर्ट: गिरगांव, मुंबई के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एनए पटेल
महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 122(बी): सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच संदिग्ध परिस्थितियों में पाया जाना। जो कोई भी सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच पाया जाता है- (बी) अपराध करने के इरादे से अपना चेहरा ढका हुआ या अन्यथा भेस में पाया जाता है।
मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने हाल ही में कहा कि मुंबई की सड़कों पर रात 1.30 बजे घूमना कोई अपराध नहीं है। अदालत ने यह फैसला एक ऐसे व्यक्ति को बरी करते हुए सुनाया जिसे तीन दिन पहले संदिग्ध परिस्थितियों में शराब की दुकान के सामने बैठे पाए जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था।
आरोपी ने अपना चेहरा रूमाल से ढक रखा था और गश्त कर रहे अधिकारी के सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। उसके खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 122(बी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।
मजिस्ट्रेट ने टिप्पणी की कि मुंबई में रात 1:30 बजे का समय बहुत देर नहीं है और अगर ऐसा है भी तो रात का कर्फ्यू लागू नहीं था, इसलिए अगर आरोपी सड़क पर खड़ा था तो यह कोई अपराध नहीं है। इसके अलावा, मजिस्ट्रेट ने कहा कि किसी व्यक्ति को रूमाल को मास्क की तरह पहनकर अपनी पहचान छिपाने वाला नहीं माना जा सकता। इसके अलावा, अगर आरोपी रूमाल से अपनी पहचान छिपाना चाहता था तो उसे पुलिस अधिकारियों को अपना नाम नहीं बताना चाहिए था।
इसलिए, न्यायालय ने माना कि आरोपी दोषी नहीं है और उसे बरी कर दिया।